जख्मी हूं क्यूंकि मैं भी तेरे जैसा जिस्म और नाम रखता हूं
ईमान कि बात मत करो,मैं देश के लिए अपनी जान रखता हूं
माँ का आँचल,बहन का प्यार रखता हूं ,किसी कि नज़रों का
वो सुना-सुना इंतज़ार रखता हूं
अब बोलो तुम ज़रा क्या यही खता है मेरी आज
तेरे लिए सब छोड़ आया,अब दिल में छुपाकर अपना छोटा सा
परिवार रखता हूं
तुझसे मिले ना मिले वो प्यार ,दिल में नही कोई सवाल रखता हूं
मैं तेरा ख़्याल रखता हूं बस यही एक अधिकार रखता हूं
मैं किन-किन की नज़रों में व्यापार करता हूं ?
तो सुनिए हाँ ये सच है कि मैं व्यापार करता हूं
तेरे लिए, देश के लिए अपनी खुशियों ,अपने सपनो का
बहिष्कार करता हूं
और तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं
ये सच है मैं जानता हूं कि तुम मेरी कीमत नही जानोगे फिर भी
तेरे कदमो में अपनी माँ से मिला वो आशीर्वाद,वो प्यार रखता हूं
मैं बस यही व्यापार करता हूं,दिल मैं नही कोई सवाल रखता हूँ
हाँ तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं
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शोला हूं,आतिश हूं,दिल हूं धड़कन भी हूं
देश मेरे तू,मुझे याद रखना इस माटी के कण-कण में मैं हूं
नाम दिया धरती माँ ने मुझको देश है मेरा मजहब
गीत,ग़ज़ल,दोस्तों की कुछ बातें और माँ कि लोरी हैं ये सिर्फ़ यादें
मैं देश के लिए समर्पित हूं यही वचन,यही हकीक़त
देश का दर्पण मैं हूं
बूंद-बूंद खून की मिली है माटी में जब-जब
धरती माँ से जन्मा हूं वीर सैनिक जवान मैं हूं
तेरी शान,तेरा अभिमान ,तेरा सम्मान मैं हूं
तेरे लिए जो खून का कतरा-कतरा समर्पित है
वो समर्पण मैं हूं
अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं
मैं अनुराग मैं प्रयाग और मैं ही सुरों का राग हूं मैं एक नई सुबह का अवतार हूं
मैं रंग मैं रत्न और मैं ही रोनक हूं इस नई सुबह में रवि कि लालिमा मैं हूं
मैं ज्योति मैं ज्वाला मैं जोश का जुटाव हूं रमणीक रश्मि से पिरोई जय-माला मैं हूं
मैं संताप मैं सुरभि और मैं ही सुरों का संगम हूं इस सृष्टि का सर्जन(जन्मदाता) मैं हूं
मैं सुबह मैं रश्मि मैं रवि मैं सृष्टि मैं जीवन का सार हूं और हूं सर्वोदय भी समापन भी
मैं हूं मैं ही समय का संचार हूं -
अक्षय-मन
ये चंद पंक्तियाँ उन शहीदों के नाम....और इसके साथ-साथ उन्हें नतमस्तक हो आदरपूर्वक पूरी आस्था के साथ श्रद्धांजलि देता हूं
->और फिर उठता है ये सवाल आतंकवाद से कैसे निपटा जाए ???
ये मेरा मानना है मेरा नजरिया है आतंकवाद से तब ही निपटा जा सकता है जब आम नागरिक को होंसला नही, उसे होंसला उसे विश्वास देने की जरूरत है जो आतंवादी से लड़ता है उसका सामना करता है हम उस सिपाही को होंसला दे सकते हैं और "ये आराईश का काम "पूजनिये शमा जी" बखूबी से अंजाम दे रही हैं घर-घर जाकर होंसला अफ़जाई कर रही हैं वो भी बिल्कुल अकेले घर से बहुत दूर अपनी परवाह न करते हुए देश की परवाह कर रही हैं उनकी आवाज किस-किसने सुनी और कौन-कौन है उनके साथ ? जो ख़ुद मुंबई मे रहते होंगे वो भी नही गए होंगे उन बेसहारों से मिलने,फिलहाल अभी मदद की बात नही करता..वो अभी सरकार पर ही छोड़ दीजिये किस-किस के साथ कितना न्याय करती है ...
आपका बच्चा
हम तो सिर्फ़ बातें, विचार बाँट सकते हैं और साथ ही साथ होंसला भी दे सकते हैं हथियार हर कोई चला नही सकता परिवार होता है घर-बार बच्चे होते हैं, माँ होती है, बहन होती हैं, पत्नी होती है उनकी रक्षा भी तो अपना ही कर्तव्य है तो pls उनको सिर्फ़ और सिर्फ़ होंसला दीजिये जो देश के लिए जंग लड़ते हैं.....क्या हम इतना नही कर सकते ?इतना तो कर ही सकते हैं..है ना? कुछ नही तो हम अपनी तरफ़ से मन्दिर बनाते हैं ,मज्जिद बनाते हैं नेताओं को बुलाते हैं बड़े-बड़े फंक्शन में बहुत कुछ करते हैं अपने लिए बहुत पैसा गंवाते हैं ,अब क्या-क्या कहूं इस समय मीडिया को बीच में नही लाना चाहता :) कभी ध्यान से सोचना आप जो एक सैनिक के लिए करते हैं तो क्या आप वो अपने लिए नही करते ?अरे ! देखिये उसमे आपका ही स्वार्थ है स्वार्थ तो................है न ? एक रक्षक जो आपको,आपके घर आतंक की नज़र से बचा रहा है उसके लिए कोई कुछ नही करता कैसा प्रचलन हो गया अपना है ना ? इस नज़रिए से सोच कर देखिये यही बिनती है आपसे...
और हाँ एक महत्वपूर्ण बात तो बताना भूल ही गया की सिपाही का कोई मजहब नही होता वो एक साथ हाथ से हाथ मिला देश के लिए और आपके लिए उस आतंकवादी उस दुश्मन का सामना करते हैं बिना किसी स्वार्थ के, वो मजहब को तराजू में नही तोलते कि में ड्यूटी पर इसके साथ क्यूँ जाउं ?क्यूँ इसके साथ दुश्मन का सामना करूं ये मेरे मजहब का तो है नही? सिपाही नही सोचता ये मजहबी बातें ये सब बातें भी हम ही आम आदमी सोचते हैं........
बस सोचिये....
और सिर्फ़ सोचिये...
और कुछ नही... :)
मैं एक मामूली सरकारी नोकर एक सिपाही की बात करे जा रहा हूं इतनी देर से और अब आप सोच में पड़ गए हो अरे ! अब कुछ नही कहूंगा उस मामूली सिपाही के लिए जानता हूं आप बोर हो गए होंगे.......है न हो गए न बोर ??
ये कुछ ऐसे ही सवाल हैं जो मुझे भी परेशान कर देते हैं मैं भी क्या करूं और किस-किसका साथ पकडूं होकर भी कोई नही मेरे साथ....अब आप ही बताइए क्या करूं ...गर मैं सही हूं तो किस-किस तक अपनी ये बात पहुचाउं अभी उम्र ही क्या है मेरी २० की गरम खून भी है और जल्दी भावुक भी हो जाता हूं और कुछ बुरा लगा हो तो क्षमा और क्या बोलूं और क्या कहे सकता हूं.....ग़लत हूं या सही हूं ये आपके नज़रिए पर निर्भर है.....
छोटा भाई या बेटा समझकर माफ़ कर दीजियेगा......
भारत देश के नाकि "INDIA" इंडिया का मतलब मैं नही जानता की उसे इंडिया क्यूँ कहा जाता है
ये बात अपनी "वन्दना मैंडम" को बतानी है मुझे ,उन्होंने ही ये पुछा था आपको मालूम है क्या? हर तरफ़ इंडिया का लेबल,मूल स्वरुप तो खो ही गया जो है भारत,और भारत नाम क्यूँ पड़ा ये आप जानते हैं तो फिर इंडिया क्यूँ? शायद नही पता होगा....मैं फिरसे वही कहूंगा बस सोचिये....
और सिर्फ़ सोचिये...
और कुछ नही... :)
अक्षय-मन..अक्षय-रहे बंधन