मौसम को देखते कुछ उसका रूप शब्दों से निखारा है
आज धरा ये प्यासी है
नील-गगन में,नील-गगन में
क्यूँ छाई गहरी उदासी है ।
झोंका पवन का आने से
पत्ता कोई शर्माता है
प्यार बरसा कर इस धरा पर
देख गगन मुस्काता है ।
भीगा फिरसे आज वो बचपन
यादों की इस बारिश में
बरसों बाद ख़ुद से मिला हूं
सावन भी है इस साजिश में ।
नीचे लिखीं कुछ पंक्तियाँ मेरे पापा के लिए जो न होकर भी मेरे साथ हैं
कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में...
नयन मेरे नम पड़े हैं
पहली इस बरसात में
हमसे दूर गए,वो बिछडे मिले हैं
बूंदों की सौगात में ।
अक्षय-मन
क्यूँ छाई गहरी उदासी है ।
झोंका पवन का आने से
पत्ता कोई शर्माता है
प्यार बरसा कर इस धरा पर
देख गगन मुस्काता है ।
भीगा फिरसे आज वो बचपन
यादों की इस बारिश में
बरसों बाद ख़ुद से मिला हूं
सावन भी है इस साजिश में ।
नीचे लिखीं कुछ पंक्तियाँ मेरे पापा के लिए जो न होकर भी मेरे साथ हैं
कहीं न कहीं किसी न किसी रूप में...
नयन मेरे नम पड़े हैं
पहली इस बरसात में
हमसे दूर गए,वो बिछडे मिले हैं
बूंदों की सौगात में ।
अक्षय-मन
झोंका पवन का आने से
जवाब देंहटाएंपता कोई शर्माता है...........
सुन्दर लिखा है अक्षय जी ...........मन को छूने वाली पंक्तियाँ है
man our aatmaa dono ko chhoo gaya.....................bahut manbhaawak..............
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर दृष्य ख़ींचा है। आपनों का जाना सदा दुखदायी होता है परन्तु जीवन हमें उनके बिना जीना भी सिखा ही देता है।
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
अक्षय जी बहुत ही सुन्दर रचना है। भीग जाने को मन कर रहा है, और इस गर्मी में दिल क्या चाहेगा। बहुत खूब लिखा है।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना ..गहराई तक भाव भरे हुए..
जवाब देंहटाएंहार्दिक बधाई..
अक्षय जी
जवाब देंहटाएंवाकई आपका मन अक्षय है जो इतने सुन्दर भावो का सृजन कर लेता है.
बचपन को भीगने दीजिए. वाह --
बहुत सुन्दर शब्द चित्र खीचा है।बधाई।
जवाब देंहटाएंmegh ko bhi barasne per majbur kar de esi rachna hai... badhai..!
जवाब देंहटाएंakshay papa ke liye likhi lines ankhe nam kar gayee...
जवाब देंहटाएंbarish ki sakhat jarurat hai ab to bars jaye
anand aaya
जवाब देंहटाएंwaaaah !
itni sahajta se apne man ke udgaaron ko kaise vyakt kar lete hain?....mere liye to ye mushkil hai....bahut hi gahri baaten hain.
जवाब देंहटाएंpyaaree rachnaa. keep it up.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी रचना, अब तो मांगें सब बारिश ही बारिश
जवाब देंहटाएंwah Akshay wah! Barish mein kiska man nahi machalta...aur han jo line aapne apne Papa to dedicate ki hain bahut pyari hain
जवाब देंहटाएंbarso megha barso........bahut sundar tasweer bundon ki
जवाब देंहटाएंअक्षय जी आपने बहुत ही सुंदर रचना लिखा है और उतनी ही सुंदर बूंदों की तस्वीर! आपकी रचना दिल को छू गई!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखते हो अक्षय...
जवाब देंहटाएंइश्वर से कामना है ऐसे ही लिखते रहो और नाम कमाओ...
मीत
aksahy
जवाब देंहटाएंmere bete , mere paayre se hero .. aaj kuch na kahunga .. bus ..aaj teri rachnao ko padhkar man bheeg sa gaya hai ..
yaar , chal teri lekhni ko ek salaam to kar doon ...
Akshay,
जवाब देंहटाएंTumharee harek rachna mujhe nishabd kar detee hai...vilakshan pratibha ke dhanee ho..!
Anek duaon aur shubhkanaon sahit
shama
bahut hi pyari rachna.......wakai boondon ki saugaat lekar aayi hai........dharti ki pyas bhi bujha gayi.
जवाब देंहटाएंtumahari rachana lagata hai padhati rahoon .aur phir khamosh ho jaati hoon .sare tasvir bhi tumaahari bohat kuchh bolati hai aur byan bhi karati hai .ek hi baat ko kya doharau .bas aane ka saboot deti hoon .aur badhai bhi .
जवाब देंहटाएंPak Karamu reading your blog
जवाब देंहटाएंbahut sunder
जवाब देंहटाएंZINDAGI KI SAMAA KA YAHAN JALAEIN RAKHNA DOSRON KE JIWAN SADA BACHEIN RAKHNA YE DUNIYA TERE SATH HO NA HO PERDUNIYAN ME APNA NAAM BANAEIN RAKHNA? ANU
जवाब देंहटाएंEK PYAR THA EK PYARI THI DONO KI DOSTI BAHUT NYAARI THI JISS DIN SE HUA THA PYAR UNHEIN US DIN SE UNKI KISMAT BAHUT DULARI THI KHUDA BHI UNSE BOLA YE KAUN SI YAARI THI NA SADI KI NA BACHEIN HUEIN YE KOUN SI DOSTI YARI THI?AGAR KOI ISS RISTEIN KA NAAM BATHEIN TOH MEIN JANU KYUNKI KHUDA BHI ISS RISTEIN KA NAAM NAHI JANTA?AAP ME SE KOI HAI--TOH MAIL KAREIN--DINESH.LOVE01@GMAIL.COM
जवाब देंहटाएं