
(१)
हर रात वो मोती जैसा चमकता है
जब-जब चांदनी उसके चहरे पर पड़ती है
बस अमावस की रात ही पता नही चलता की वो आज रोया है या नही ।
(२)
इन हवाओं के साथ तेरी खुशबू अब क्यूँ आती है
तेरा जिस्म मुझको अब क्यूँ महसूस होता है
शायद शमशान में तेरी राख अब भी बाकी है,हवाओं का रुख बदलना पड़ेगा ।
(३)
हमें आसमां में बादलों के घर दिखाई देते हैं
मैं हर दिन घर के नक्शे बदलते हुए देखता हूं
तेरी तरहां खुदा भी अपने ठिकाने रोज बदलता होगा ।
(४)
मोहब्बत न होती तो ये गीत,ये ग़ज़ल न होती
तुम शायर बने तो आशिकों के रहमों-करम पर
मगर मैंने कभी ये सोचा न था की मैं भी आशिक बन जाउंगा ।
(५)
निकाह जो करलो तुम अपनी मज़बूरी,अपने हालातों से
कोई गम नही उम्र भर ये रस्मे जो निभानी पड़ जायें
जब तुमको खुशी मिल जाए,फिर इनको तलाक़ दे देना तुम ।
(६)
बिस्तर पर सिलवटें ,कुछ जानी-पहचानी सी लगती हैं
जिनको देख कुछ पुरानी यादें जाग जाती हैं
शायद तभी हम रात-रातभर करवटें लिया करते हैं ।
अक्षय-मन