शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

मिस यू पापा

ये पन्ने हैं जिंदगी के इनमे आपका पता तलाशता हूं
आप खो गए हैं मगर अब बस आपकी यादों का हिसाब
संभालता हूं

बस एक पन्ना खाली छुटा है मेरी इस किताब का
बात वो अधूरी छोड़ गए बोले,बेटा अभी बताता हूं

बस मेरे मे ही सीमित है आपके रूप का हर रंग
अपने जिस्म के हर हिस्से को आपमे ही बसाता हूं

गुजरते बचपन के साथ वक्त भी ये गुजर जाएगा मगर
गुजरे हुए कल की गलियों से मै अब भी गुजरता हूं

मेरा मुक़द्दर तो देखो ये मुझे छोड़ मेरे अपनों पर कहर ढाता है
इसलिए जिस्म छोड़ कभी-कभी आपके साथ निकल पड़ता हूं

अकसर बचपन मे आसमानों मे छिपे राज आप सुनाते थे मुझको
अब क्यूँ नही बरसते आसमां से आप,देखो तो जरा मे कितना गरजता हूं

अक्षय
-मन


गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

ये नज़्म है प्यार की.......


यादों
की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे
अंधरों मे भी तेरी यादों के
उजालो का तसव्वुर करते थे
उजालो का तसव्वुर करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

तस्वीर नही निगाहों मे ना
दिल मे तू धड़कती थी
ना दिल मे तू धड़कती थी
फिर भी होठ मेरे ये अन्जाने
पल-पल तेरी बातें करते थे
पल-पल तेरी बातें करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

हर आईने मे है अक्स तेरा
तू नही है तो क्या हुआ
ये आईना तो है मेरा
अश्को को गिरा-गिराकर हम
आईने को पोछा करते थे
आईने को पोछा करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

ये दर्द भी है तो क्या गम है
हमारा प्यार तो "अक्षय" रहेगा न
तू चली गई है तो क्या गम है
ये क़र्ज़ तो मुझपे रहेगा न
आसमां के इस आँचल मे
हम दो सितारे चमका करते थे
हम दो सितारे चमका करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

अक्षय-मन

शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

अब दर्द बनके पनपता है वो प्यार वाला पल



खाली बोतल सी है अब ये ज़िन्दगी मेरी
जिसमे
तेरा नशा ना हो ऐसा जाम ना दो

तुम क्या रखोगे अपने पास उन पलों को
उन्हें लौटा दो मगर ऐसे सरेआम ना दो

क्यूँ समझोगे ग़म मोहब्बत का तुम लेकिन
इन छलकते आंसुओं को पानी का नाम ना दो

वक़्त-वक़्त पर बदलते हैं तेरे ये जो मिज़ाज
प्यार मेरा मौसम तो नही ऐसा इल्ज़ाम ना दो

पर्दा तो तब करूं जब आबरू महफूज़ हो मेरी
आईने भी अब मुह छुपाये ऐसा अन्जाम ना दो

तुम नज़्म हो अमीरी जैसी जिसमे कोई ज़ज्बात नही
तुम मेरी खामोशियों को ऐसी नज़्मो का इनाम ना दो

हम गुम भी हैं गुमसुम भी तुम कहो तो गुमनाम भी हम
चल पड़े हैं ग़म-ए-राह पर हम अब कोई पयाम ना दो

ऐसा प्यार क्या मुमकिन है जो हो "अक्षय" सा
बिकाऊ नही है मेरा प्यार तुम इसका दाम ना दो

अक्षय-मन