ये पन्ने हैं जिंदगी के इनमे आपका पता तलाशता हूं
आप खो गए हैं मगर अब बस आपकी यादों का हिसाब
संभालता हूं
बस एक पन्ना खाली छुटा है मेरी इस किताब का
बात वो अधूरी छोड़ गए बोले,बेटा अभी बताता हूं
बस मेरे मे ही सीमित है आपके रूप का हर रंग
अपने जिस्म के हर हिस्से को आपमे ही बसाता हूं
गुजरते बचपन के साथ वक्त भी ये गुजर जाएगा मगर
गुजरे हुए कल की गलियों से मै अब भी गुजरता हूं
मेरा मुक़द्दर तो देखो ये मुझे छोड़ मेरे अपनों पर कहर ढाता है
इसलिए जिस्म छोड़ कभी-कभी आपके साथ निकल पड़ता हूं
अकसर बचपन मे आसमानों मे छिपे राज आप सुनाते थे मुझको
अब क्यूँ नही बरसते आसमां से आप,देखो तो जरा मे कितना गरजता हूं
अक्षय-मन
आप खो गए हैं मगर अब बस आपकी यादों का हिसाब
संभालता हूं
बस एक पन्ना खाली छुटा है मेरी इस किताब का
बात वो अधूरी छोड़ गए बोले,बेटा अभी बताता हूं
बस मेरे मे ही सीमित है आपके रूप का हर रंग
अपने जिस्म के हर हिस्से को आपमे ही बसाता हूं
गुजरते बचपन के साथ वक्त भी ये गुजर जाएगा मगर
गुजरे हुए कल की गलियों से मै अब भी गुजरता हूं
मेरा मुक़द्दर तो देखो ये मुझे छोड़ मेरे अपनों पर कहर ढाता है
इसलिए जिस्म छोड़ कभी-कभी आपके साथ निकल पड़ता हूं
अकसर बचपन मे आसमानों मे छिपे राज आप सुनाते थे मुझको
अब क्यूँ नही बरसते आसमां से आप,देखो तो जरा मे कितना गरजता हूं
अक्षय-मन
bahut accha likhte raho
जवाब देंहटाएंkavita to bahut maarmik hai aur behad khubsurat bhi....antim do panktiyan to aur bhi behad......magar mai soch me par gaya hoon ki kya ye hakikat hai?
जवाब देंहटाएंpapa aakash se roj dekhte hain aur apna aashirwaad dete hain........
जवाब देंहटाएंsachchi
yahin hein papa..tumhare saath..tumhari yaadon mei...
जवाब देंहटाएंbahut sundar yaaden samet rakhi hein...
yahin hein papa..tumhare saath..tumhari yaadon mei...
जवाब देंहटाएंbahut sundar yaaden samet rakhi hein...
एक मर्मस्पर्शी कविता, पिता का स्नेह अपनी संतान पर हमेसा ही बना रहता है |
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