गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

ये नज़्म है प्यार की.......


यादों
की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे
अंधरों मे भी तेरी यादों के
उजालो का तसव्वुर करते थे
उजालो का तसव्वुर करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

तस्वीर नही निगाहों मे ना
दिल मे तू धड़कती थी
ना दिल मे तू धड़कती थी
फिर भी होठ मेरे ये अन्जाने
पल-पल तेरी बातें करते थे
पल-पल तेरी बातें करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

हर आईने मे है अक्स तेरा
तू नही है तो क्या हुआ
ये आईना तो है मेरा
अश्को को गिरा-गिराकर हम
आईने को पोछा करते थे
आईने को पोछा करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

ये दर्द भी है तो क्या गम है
हमारा प्यार तो "अक्षय" रहेगा न
तू चली गई है तो क्या गम है
ये क़र्ज़ तो मुझपे रहेगा न
आसमां के इस आँचल मे
हम दो सितारे चमका करते थे
हम दो सितारे चमका करते थे
यादों की हिफाज़त करते हुए
हम रातों को जागा करते थे

अक्षय-मन

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