कितनी तन्हाई,कितने थे आंसू कितना उदास था मैं
तुझसे बिछड़ के तू ही बता दे कितना पास था मैं
चाँद भी,आसमा भी और हैं सितारे सब वहां
तेरी धरती पर फलक की अनबुझी प्यास था मैं
वो आँगन,वो दीवारें,वो तख्त-ओ-ताज-ओ-महल
वो दरवाजे वो खिड़कियाँ और इंतज़ार की आस था मैं
रिश्तों के दायरों ने कुछ ऐसे जकड़ लिया था मुझे
समझ नही आता कितना अजनबी कितना ख़ास था मैं
कहीं तस्वीरें,कहीं अक्स तो कहीं परछाइयाँ दिखाई देती हैं तुझे
मेरा कोई वजूद नही जनता हूं,सिर्फ़ महज आभास था मैं
धरती पर आ गिरी निर्मल निवस्त्र चांदनी लेकिन
काले बादलों के रूप में चाँद का लिबास था मैं....
"अक्षय" निशब्द था मौन था तुम्ही बताओ मैं कौन था
क्या महज कोरे कागजों पे लिखा कोरा इतिहास था मैं
अक्षय-मन
तुझसे बिछड़ के तू ही बता दे कितना पास था मैं
चाँद भी,आसमा भी और हैं सितारे सब वहां
तेरी धरती पर फलक की अनबुझी प्यास था मैं
वो आँगन,वो दीवारें,वो तख्त-ओ-ताज-ओ-महल
वो दरवाजे वो खिड़कियाँ और इंतज़ार की आस था मैं
रिश्तों के दायरों ने कुछ ऐसे जकड़ लिया था मुझे
समझ नही आता कितना अजनबी कितना ख़ास था मैं
कहीं तस्वीरें,कहीं अक्स तो कहीं परछाइयाँ दिखाई देती हैं तुझे
मेरा कोई वजूद नही जनता हूं,सिर्फ़ महज आभास था मैं
धरती पर आ गिरी निर्मल निवस्त्र चांदनी लेकिन
काले बादलों के रूप में चाँद का लिबास था मैं....
"अक्षय" निशब्द था मौन था तुम्ही बताओ मैं कौन था
क्या महज कोरे कागजों पे लिखा कोरा इतिहास था मैं
अक्षय-मन