मजबूर हुआ हूं आज फिर दर्द की दुश्मन ये कलम उठी
दस्तक दी है दर्द ने,कोरे-कागजों की खामोशियों पर कोई
किसी से चुराया था मैंने जो गम वो मुझे किस रस्ते ले आया
मुझे चोर समझ अब ये कलम वो गम मुझमे तलाश करती है
तारीख नही,सुनवाई नही गुनाह के उस वक्त की उस लम्हे उस दर्द
की वो सीधे ही उम्रभर के लिए मुझे कागजों में कैद करती है
गुनाह किया मैंने जो तेरा गम चुरा लिया सजा भी मिली मुझे
शब्दों का बंदी आज मैं हूं लोगो ने मुझे शायर नाम दिया
और तुने आवारा, दीवाना,बड़ा वाला पागल बना दिया !!!
***
यार तुम दुखों को क्यूँ गिनते हो अपनी इन उँगलियों पर
कभी इन खामोश लबों की सुर्खियाँ भी गिन लिया करो !
***
दस्तक दी है दर्द ने,कोरे-कागजों की खामोशियों पर कोई
किसी से चुराया था मैंने जो गम वो मुझे किस रस्ते ले आया
मुझे चोर समझ अब ये कलम वो गम मुझमे तलाश करती है
तारीख नही,सुनवाई नही गुनाह के उस वक्त की उस लम्हे उस दर्द
की वो सीधे ही उम्रभर के लिए मुझे कागजों में कैद करती है
गुनाह किया मैंने जो तेरा गम चुरा लिया सजा भी मिली मुझे
शब्दों का बंदी आज मैं हूं लोगो ने मुझे शायर नाम दिया
और तुने आवारा, दीवाना,बड़ा वाला पागल बना दिया !!!
***
यार तुम दुखों को क्यूँ गिनते हो अपनी इन उँगलियों पर
कभी इन खामोश लबों की सुर्खियाँ भी गिन लिया करो !
***
बढ़िया !
जवाब देंहटाएंघुघूती बासूती
bahut badhiyaa rachna.........paagal hokar,dard se gujarkar hi zindagi ki sahi pahchaan milti hai
जवाब देंहटाएंlogo ne shayar naam diya ..
जवाब देंहटाएंtune bada wala pagaal bana diya ..
kya baat hai , hero ... abhi se pagal banonge to meri umr mein kya banonge.....
bahut acchi , bahut umda ..
bahut bahut badhai
vijay
अच्छी नज़्म,
जवाब देंहटाएंदिल के गहरे ज़ज्बातों को बोलती सुंदर रचना
bahot sundar likha hai aapne ise nazm kahun ya muktak... badhiya bhav ke liye dhero badhai aapko.
जवाब देंहटाएंarsh
khamosh labon ki surkhiyan....shaandaar ban pada hai.
जवाब देंहटाएंबहुत खूब विशेषकर आखिरी पंक्तियाँ.
जवाब देंहटाएं"कभी इन खामोश लबों की सुर्खियां भी गिन लिया करो".
जवाब देंहटाएंसुन्दर पंक्तियां.
udhar ka dard kisi se liya hua magar bahut umada racha hai kaagaz par kalam se jazbaat bankar,bahut hi sundar.
जवाब देंहटाएंAkshay...kya kahun...kamalka likha hai tumne...harek panki dohrayi jaa sakti, hai isliye nahi dohra rahi hun....Bhagwaan naa kare ki tumhen taumr koyi dard sehna pade!!
जवाब देंहटाएंAaj ek chhotisi post likh rahi hun...zaroor padhna aur use apne blogpe chahe to copy paste kar dena...log kitne asamvedansheel ho sakte hain...kis waqt kaisa mazaaq karnaa ye nahi samajhte aur behad bhadda, ghinauna maazq kar baith te hain..
बेहतरीन रचना. कल्पनाओं की सादगी और दर्द की बयानगी...जारी रहें.
जवाब देंहटाएंkya kahun ...aur kahane ko kya rah gayaa...!!
जवाब देंहटाएंअन्तिम दो पंक्तियाँ बेजोड़....वाह
जवाब देंहटाएंनीरज
bhai
जवाब देंहटाएंmain upar diye gaye kisi bhii comment se sehmat nahii huun .....
ye tumhare standard kii nahii hai
bhai or achaa likho
isme akshaya waali koi baat nahii hai ........
baaki gaaliyan tumko phone par personally dunga ....
best of luck ...
Bahut khub.
जवाब देंहटाएंaapke khamosh lab hi bolte hain aur jab bhi bolte hain to dil hila dete hain .....abhi se itna dard kahan se pala hai........itni achchi vivechna kaise kar lete ho
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