
आप खो गए हैं मगर अब बस आपकी यादों का हिसाब
संभालता हूं
बस एक पन्ना खाली छुटा है मेरी इस किताब का
बात वो अधूरी छोड़ गए बोले,बेटा अभी बताता हूं
बस मेरे मे ही सीमित है आपके रूप का हर रंग
अपने जिस्म के हर हिस्से को आपमे ही बसाता हूं
गुजरते बचपन के साथ वक्त भी ये गुजर जाएगा मगर
गुजरे हुए कल की गलियों से मै अब भी गुजरता हूं
मेरा मुक़द्दर तो देखो ये मुझे छोड़ मेरे अपनों पर कहर ढाता है
इसलिए जिस्म छोड़ कभी-कभी आपके साथ निकल पड़ता हूं
अकसर बचपन मे आसमानों मे छिपे राज आप सुनाते थे मुझको
अब क्यूँ नही बरसते आसमां से आप,देखो तो जरा मे कितना गरजता हूं
अक्षय-मन