
अँधेरी राहों से मैंने तुमको जब गुज़रते हुए देखा
चाँद कि परस्तिश में जैसे चांदनी को जलते हुए देखा
यूँ दिल में दबा नहीं सकते उन दहकते शोलों को
वो रंजिश-ओ-ग़म तेरी आँखों में सुलगते हुए देखा
वक़्त के साथ यूँ तो बढ़ जाएगी सासें मेरी
हर लम्हे को जिंदगी ने मगर,थमते हुए देखा
इस तन्हाई को तुम अब तन्हा ही रहने दो मौला
हमने खामोश समुन्द्रों को जलजलों में बदलते हुए देखा
कोई तपिश है या सुलगती आग सीने में कैद
सूरज को मैंने अश्को सा पिघलते हुए देखा
इन कागजों में दर्द को आखिर समेट लूँ कितना
मैंने जिंदगी को पन्नो कि तरहां बिखरते हुए देखा
अक्षय-मन
चाँद कि परस्तिश में जैसे चांदनी को जलते हुए देखा
यूँ दिल में दबा नहीं सकते उन दहकते शोलों को
वो रंजिश-ओ-ग़म तेरी आँखों में सुलगते हुए देखा
वक़्त के साथ यूँ तो बढ़ जाएगी सासें मेरी
हर लम्हे को जिंदगी ने मगर,थमते हुए देखा
इस तन्हाई को तुम अब तन्हा ही रहने दो मौला
हमने खामोश समुन्द्रों को जलजलों में बदलते हुए देखा
कोई तपिश है या सुलगती आग सीने में कैद
सूरज को मैंने अश्को सा पिघलते हुए देखा
इन कागजों में दर्द को आखिर समेट लूँ कितना
मैंने जिंदगी को पन्नो कि तरहां बिखरते हुए देखा
अक्षय-मन
इस तन्हाई को तुम अब तन्हा ही रहने दो मौला
जवाब देंहटाएंहमने खामोश समुन्द्रों को जलजलों में बदलते हुए देखा
sahi baat akhi akshay..sorry bahut din bad yaha aa saki mein...
bahuta chi lagi gazal
Wow.....bahut din baad ehsaaso ko gazal mein dhalte dekha
जवाब देंहटाएंसोचती हूँ कैसे सूरज अश्को सा पिघलता होगा.समुन्दरो को जलज़लो में बदलना कैसा होगा.दर्द को कितना भी समेटो बिखर जाता है.
जवाब देंहटाएंWaah, puri gazal hi lajabab hai.
जवाब देंहटाएंyu hi achcha likhte rahen.
bahut sundar rachna hai...
जवाब देंहटाएंबहुत उम्दा रचना!
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना । अंतिम शेर तो लाजवाब है । आभार ।
जवाब देंहटाएंहमने खामोश समुद्रों को जलजले में बदलते देखा ....
जवाब देंहटाएंकागज को दर्द में समेतु कैसे
जिंदगी को पन्नों की तरह बिखरते देखा
आह ....!!
समेटूं
जवाब देंहटाएंकोई तपिश है सुलगती----- बहुत गहरे भाव लिये रचना के लिये बधाई
जवाब देंहटाएंबहुत लाजवाब ग़ज़ल है ........... सूरत को पिघलते देखा ...... इस शेर में कमाल के ज़ज्बात हैं ....... गहरे भाव पिरोए हैं आपने ........
जवाब देंहटाएंbahut hi sundar rachna hai..itni kam umra mai itni gahrayee....bhavo ki sundar prastuti....
जवाब देंहटाएंishwar apko sukh samridhi or safalta den....
ज़िदगी को देखने का नज़रिया और गज़ल के सभी शेर बहुत सुन्दर.
जवाब देंहटाएंभाई लाजवाब रचना है मिर्जा ग़ालिब साहब की। इतनी अच्छी रुबाइयां शाया करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया।
जवाब देंहटाएंyun to poori gazal hi lajawaab hai magar aakhiri ke dono sher bahut kuch kah jate hain.........bahut hi gahre utar gaye.....badhayi
जवाब देंहटाएंइस तन्हाई को तुम अब तन्हा ही रहने दो मौला
जवाब देंहटाएंहमने खामोश समुन्द्रों को जलजलों में बदलते हुए देखा
bahut bahut sunder sher
are itne din the kahan beta
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
जवाब देंहटाएंare bhaee gazal bhee likhate hain aap.....
जवाब देंहटाएंbahut khoob.....
Atai sunder sir
जवाब देंहटाएंतन्हाई का दर्द ..समंदर के ज़लज़ले से कही अधिक है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ..भावपूर्ण ..अति सुंदर
तन्हाई का दर्द ..समंदर के ज़लज़ले से कही अधिक है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ..भावपूर्ण ..अति सुंदर
तन्हाई का दर्द ..समंदर के ज़लज़ले से कही अधिक है ....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखा है ..भावपूर्ण ..अति सुंदर
Kya baat hai Akshay! Hameshaki tarah mere paas alfaaz nahin!
जवाब देंहटाएंati sundar rachana itni komalta itni gahrai samay mile to mujhe bhi padhna aap hi ka humumra hu
जवाब देंहटाएंakshay bahut hi achchha likhate hain aap ek ke bad ek sabhi rachna bas padti chali gai mann ruka hi nahi.
जवाब देंहटाएंsuman'meet'
बहुत सुन्दर... !!
जवाब देंहटाएंare yaar kyaa kar rahe ho tum.....
जवाब देंहटाएंlajwaab......bhaayi.....!!
Akshay!! U r simply great.......tumhare har shabd bolte hain.........:)
जवाब देंहटाएंcheck my blog..........."wo bachpan"
http://jindagikeerahen.blogspot.com/
इन कागजों के दर्द को आखिर समेटूँ कितना....बहुत ही भावभरी प्यारी रचना जो सीधे दिल को छूती है....
जवाब देंहटाएंare bhaee gazal bhee likhate hain aap.....
जवाब देंहटाएंbahut khoob.....
इन कागजों में दर्द को आखिर समेट लूँ कितना
जवाब देंहटाएंमैंने जिंदगी को पन्नो कि तरहां बिखरते हुए देखा
बहुत प्यारी गज़ल ..... बेहतरीन शेर
यूँ दिल में दबा नहीं सकते उन दहकते शोलों को
जवाब देंहटाएंवो रंजिश-ओ-ग़म तेरी आँखों में सुलगते हुए देखा
वक़्त के साथ यूँ तो बढ़ जाएगी सासें मेरी
हर लम्हे को जिंदगी ने मगर,थमते हुए देखा
इस तन्हाई को तुम अब तन्हा ही रहने दो मौला
हमने खामोश समुन्द्रों को जलजलों में बदलते हुए देखाkya kahu sab to aapn is kabita me keh dala hai ...bahut acchha likhte ho aap...achha laga padhke...good luck
bahut badiya..
जवाब देंहटाएंin kagjo me dard ko aakhir samet loo kitana
जवाब देंहटाएंmaine zindgi ko panno ki taraha bikhrte huye dekha hia
Gahara matlab nikalta hai in laino ka
aap mera sher bhi parhiye aur bataiye dono me fark
Agar mumkin hai mahaz kagaj par likhkar dard bayna kar dena
to kiyno na me kagaj par poori dawat urel doo
बहुत खूबसूरत रचना बधाई
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