मंगलवार, 20 अप्रैल 2010

अनोखा आभास

अनोखा आभास

एकरूप थी एक रंग थी मैं शब्दों से अतरंग थी
पीड़ा की डोर बंधी उड़ती बहती बेकल पतंग थी

जीवन मेरा, जो एक वृक्ष सा अटल खड़ा था
पल दो पल का साथी हर पत्ता ,ना कोई उमंग थी


व्याकुल है आतुर है ये कोरा कैसा आभास है
निशब्द पड़े कुछ पन्ने कलम पड़ी बेरंग थी

भीगे भीगे नयनो से जब वो लम्बी अश्रुधार बही
विचारों के आसमां में जो घटा उठी सतरंग थी

भावनाओं से ओत-प्रोत तुम खोल दो विरह हृदय की
मन-दर्पण के प्रतिबिम्ब में एक अलौकिक तरंग थी

एक हूं,तेरे अनुरूप हूं,कभी छाँव थी,अब धूप हूं
जीवन रूप बदलता गया बस मैं एकरंग थी
अक्षय-मन

33 टिप्‍पणियां:

  1. एक हूँ तेरे अनुरूप हूँ ----
    पूरा का पूरा जीवन दर्शन है यहाँ तो
    बहुत सुन्दर

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  2. अंतिम पंक्तियाँ दिल को छू गयीं.... बहुत सुंदर कविता....

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  3. वाह!! बहुत बेहतरीन रचना..आनन्द आ गया.

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  4. रचना मन को छू लेने वाली है। बधाई.

    टंकण की गलतियों को सुधार लें तो प्रवाह विद्यमान रहे। यथा- ह्रदय के स्थान पर हृदय, छाव की जगह छांव/छाँव।
    दूसरी बात कि विराम-चिह्नों का भी यत्र-तत्र प्रयोग समीचीन रहता है। यथा- एक हूँ, तेरे अनुरूप हूँ, कभी छांव थी, अब धूप हूं।

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  5. akshay
    hamesha ki tarah bahut hi gahan abhivyakti.........itne din baad aaye ho aur hamesha ki tarah nayab moti hi laaye ho..........har pankti ek adhyay samjha rahi hai zindagi ka.........ati sundar.........aise hi likhte raho.

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  6. प्रिय हनी ,कई बार कोशिश की पर बात नहीं हुई ,मन बेचैन हुआ तो मेल की /तुम मे कुछ ऐसा है जो इतना उन्नत है ,इतना प्यारा है कि तुम सामने होते तो गले से लगा लेने को जी हो आया है /
    दिनकर जी का कथन -बंधु,मैंने .......
    अद्भुत /उस पर तुम्हारे ब्लॉग का निखरता रूप और उम्दा बहार कि संवेदना भरी ग़ज़ल ,सभी कुछ मन प्राणों को चुनी वाला ,क्या कहूं ,शब्द काफी नहीं तुम्हारे लिए ,शायद तुम्हारे लिए मन मे जो स्नेह है ,प्रतिभा भी बहुत उत्तर दाई है उसके लिए.
    कहाँ हो ,फोन नों क्या है मन हो तो बताना वरना दूरियां तो बना ही ली हैं तुमने .
    मेरा बहुत बहुत प्यार ,आशीष,शुभ कामनाएं ,स्नेह ,सभी कुछ जो भी पास है मेरे /
    तुम्हारा ही ,
    भूपेन्द्र

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  7. जीवन रूप बदलता गया.. बस मैं एकरंग.... अच्छी अभिव्यक्ति..!!!!
    तुम्हारे शब्द.. तुम्हारी लेखनी... अक्षय है..!!!

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  8. जीवन रूप बदलता गया.. बस मैं एकरंग.... अच्छी अभिव्यक्ति..!!!!
    तुम्हारे शब्द.. तुम्हारी लेखनी... अक्षय है..!!!

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  9. जीवन के रंगों को खोजती अनुपम रचना ... बहुत अच्छी लगी ...

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  10. एक हूं,तेरे अनुरूप हूं,कभी छाँव थी,अब धूप हूं
    जीवन रूप बदलता गया बस मैं एकरंग थी


    bahut sundar gazal

    bahut khub

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  11. वाह....
    पूरे जीवन के रहस्य से भरी हुई.....
    बहुत सुन्दर.....

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  12. शब्दों का बेजोड़पन है आपके पास
    बहुत सुन्दर रचना

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  13. Behad shandar abhivyakti hai akshay.......utkristh!


    ...Tumhara Ehsaas!

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  14. Dear Akshay , deri se aane ke liye kshama... bahut aashirwad aur pyaar tumhare liye ... kavita par kuch na kahunga .. bahut dino baad saamne ye rachna hai ...aur ye bahut hi khoobsurat hai ...antim panktiyan to bas bahut sa philosphical thought ko rakhe hue hai ... mera man tumhare liye udaas hai beta .. apna dhyaan rakhna aur khoob aage bado ..

    regards

    vijay

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  15. bahut khoobsurati k saath likha hai aapne..
    likhte rahiye.....

    Meri Nayi Kavita par aapke Comments ka intzar rahega.....

    A Silent Silence : Zindgi Se Mat Jhagad..

    Banned Area News : Pankaj Udhas launches his album Shaayar

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  16. बहुत ही सुन्दर रचना...सब्दों को बड़ी ही कुशलता से काव्य मंजूषा में पिरोया है..
    शुभकामनाएं...

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  17. अति सुन्दर ...........
    अगली कविता की प्रतीक्षा रहेगी.....
    धन्यवाद.....
    http://nithallekimazlis.blogspot.com/

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  18. मनमोहक ब्लॉग और बहुत सुंदर रचना

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  19. fierst visit to ur blog......read 2 poems, reading more...im really impressed frm ur thoughts.

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  20. fierst visit to ur blog......read 2 poems, reading more...im really impressed frm ur thoughts.

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  21. "पलकों के सपने " पर पधारने के लिए धन्यवाद. पहली बार आपको पढने का मौका मिला. पूरे नारी जीवन का सत्य ऊजागर कर दिया. शुभकामना.

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  22. axhay ji
    bahut dino baad aap mere blog par dikhe par bahut hi achha laga,
    idhar main bhi aswsthata ke chalte net par lagataar nahi kaam kar paa rahi hun .kya karun ..d0 ki manahi hai .chah kar bhi bahut logon ke blog par nahi pahunch paati hun .man me dukh nota par majburi hai.
    aapki gazal sahi mayane jian dhara ke vividh aayamo ko bade hi khoobsurat shbdo me dhala hai.
    sari ki saari hi panktiyan jivan ras se bhari hui hain.
    bahut bahut badhai
    v dhanyvaad itni behtreen prastuti ke liye
    poonam

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