जिन्दगी सवालों के लिए अर्थ की एक दुकान है
अर्थ तो बेजान पड़े यहाँ लेकिन सवाल मूल्यवान है ।
रोज एक सवाल खरीदार बन चला आता है
ख़ुद सवाल बन चुकी इस ज़िन्दगी से वो सवाल
एक सवाल पूछता है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
बिकते-लुटते वे अर्थ,आज उनका ठिकाना दुकान नही मकान है
क्या पता सवाल अर्थ पर निर्भर हैं या अर्थ सवालों पर
इससे तो ज़िन्दगी भी अनजान है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
सवालों को उनके अर्थ तो मिल गए लेकिन उस अर्थ का क्या
वो अब बदनाम है
आज वो अर्थ सवालों के साथ रहते-रहते ख़ुद सवाल बन गए हैं
वो तो कुछ रातों के महेमान थे उनकी मंजिल तो एक वही
दुकान है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
अब सब शब्दहीन,अर्थहीन ना कोई पहचान है
हर अर्थ पर एक प्रश्नचिन्ह वो भी गुमनाम है
सवालों पर सवाल आते गए,आते गए
ज़िन्दगी की उस दुकान में खरीदार तो बहुत थे
अर्थ नही अब तो सवालों का क्या काम है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
अक्षय-मन
अर्थ तो बेजान पड़े यहाँ लेकिन सवाल मूल्यवान है ।
रोज एक सवाल खरीदार बन चला आता है
ख़ुद सवाल बन चुकी इस ज़िन्दगी से वो सवाल
एक सवाल पूछता है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
बिकते-लुटते वे अर्थ,आज उनका ठिकाना दुकान नही मकान है
क्या पता सवाल अर्थ पर निर्भर हैं या अर्थ सवालों पर
इससे तो ज़िन्दगी भी अनजान है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
सवालों को उनके अर्थ तो मिल गए लेकिन उस अर्थ का क्या
वो अब बदनाम है
आज वो अर्थ सवालों के साथ रहते-रहते ख़ुद सवाल बन गए हैं
वो तो कुछ रातों के महेमान थे उनकी मंजिल तो एक वही
दुकान है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
अब सब शब्दहीन,अर्थहीन ना कोई पहचान है
हर अर्थ पर एक प्रश्नचिन्ह वो भी गुमनाम है
सवालों पर सवाल आते गए,आते गए
ज़िन्दगी की उस दुकान में खरीदार तो बहुत थे
अर्थ नही अब तो सवालों का क्या काम है
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं
बोलो इस अर्थ के क्या दाम हैं ?
अक्षय-मन
हर अर्थ पर एक प्रश्नचिन्ह वो भी गुमनाम है
जवाब देंहटाएं......
ye paristhiti apne aap me dukhdaai hai, par gumnaami ko raah milta hai jab prashn simat jate hain
रोज एक सवाल खरीदार बन चला आता है...
जवाब देंहटाएंबहुत बड़ा सच !
bahut khub.......!!
जवाब देंहटाएंSACH MAI BAHUT KHUB ...KHRIDAAR SAWAAL ....SHABDO KI PAKAD ..BAHUT KHUB..
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छी कविता और कविता में आए भाव एक अच्छा ब्लाग बधाई हो
जवाब देंहटाएंजिन्दगी सवालों के लिए अर्थ की एक दुकान है
जवाब देंहटाएंअर्थ तो बेजान पड़े यहाँ लेकिन सवाल मूल्यवान है ।
sach kaha aapne....
bahut khoob......
क्या पता सवाल अर्थ पर निर्भर हैं या अर्थ सवालों पर
जवाब देंहटाएंइससे तो ज़िन्दगी भी अनजान है
bahut khub,,aajkal zindgi bhi naye naye sawaalo ka luft de rahi hai.. ek achchi kavita ke liye badhaayi..
aapko pehli baar pada..achha laga..
Achchi kavita hai
जवाब देंहटाएंअति-व्यवहारिकता और आदर्शवाद के बीच कहीं हकीकत होती है..
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंroj ek sawal roj sawalon ke jawaab dhoondhne mein jhujhta hoon mein
जवाब देंहटाएंbhaut khoob