बुधवार, 24 दिसंबर 2008

भला ईश्वर कैसे जी जाते हैं ??


ज़िन्दगी देखी है हमने तुममे कहीं पनपती हुई पर
यहाँ तो बहुत से लोग मौत की चाहत में जी जाते हैं

प्यार को देखा है हमने दर्द के दामन में सर छुपाते हुए यहाँ
भटकते तो हम हैं सिर्फ़ इक आसरे की आरजू मे जी जाते हैं

धुप-छाँव का खेल है ज़िन्दगी, आती भी है तो कभी जाती भी
आना-जाना लगा रहेगा देखें हम भी कितने जन्म जी जाते हैं

कभी उन धडकनों को रुसवा ना करो जो दिल के दरवाजों पर
दस्तक देती है हम उन धडकनों की पनाह मे ताउम्र जी जाते हैं

"अक्षय" को तुम आज इतनी दुआ देदो की वो भी पत्थर बन जाए
देखना चाहता हूं पत्थर बनकर ,भला ईश्वर कैसे जी जाते हैं ??
भला ईश्वर कैसे जी जाते हैं ??
अक्षय-मन

27 टिप्‍पणियां:

  1. पत्थर बनाने की दुआ क्यूँ मांगी अक्षय?
    निराशा भरी यह मांग क्यूँ?
    ईश्वर तो ईश्वर है ,वो हर कण में जीता है..उस से क्या तुलना?
    यह कैसा प्रश्न है??हमारी दुआ है कि तुम हंसते खिलखिलाते रहो..
    जीवन धूप-छाँव का खेल ही तो है...बस यूँ ही चलते रहिये..
    कविता में भावों को आप ने
    बखूबी पिरोया है..बधाई

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  2. येही हुआ होगा शायद उन खुदाओं को
    तभी वो पत्थर से फ़िर न इंसान बन पाएंगे
    रिश्ते बने जो कहीं, छोड़ न पाएंगे
    मोम दिल वो इंसान, खुदा फ़िर न बन पाएंगे
    --------------

    बहुत ही अच्छा लिखा है आपने

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  3. भाई हमलोग तो इंसानों की भावनाओं को पढने में ही आजिज हो जाते हैं, और आपने तो पत्थरों की तड़प उलझन को उकेर दिया है| चलिए ऐसे ही छेड़ते रहिये | पिछले कुछ २० दिनों अब से आपके ब्लॉग पर आ रहा हूँ, ये रचना मुझे अब तक की तक सर्वश्रेष्ठ लगी| जमाये रहिये|

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  4. ye niraashaa kyon ..jivan main aashaaon kaa daaman nahi chodnaa chaahiye ..ishwar sabhi ko dekhtaa hai...

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  5. बहोत ही बढ़िया लिखा है आपने ढेरो बधाई स्वीकारें...


    अर्श

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  6. कभी उन धडकनों को रुसवा ना करो जो दिल के दरवाजों पर
    दस्तक देती है हम उन धडकनों की पनाह मे ताउम्र जी जाते हैं
    waah behtarin rachana bahut badhai

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  7. हृदय को स्पर्श कर जाने वाली रचना है


    ------------------------
    http://prajapativinay.blogspot.com/

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  8. धुप-छाँव का खेल है ज़िन्दगी, आती भी है तो कभी जाती भी
    आना-जाना लगा रहेगा देखें हम भी कितने जन्म जी जाते हैं

    kya baat hai
    jindagi ko utarana acha seekha hai a pne...

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  9. अक्षय मन उन धडकनों की पनाह में ताउम्र जी जाते हैं
    फ़िर भी आया कभी आंसू तो हमराह ताउम्र पी जाते हैं
    ना जाने क्यूँ आया दिल में ख्याल पत्थर बनने का
    तेरा क्या,पत्थर बनकर तो भगवान् भी जी जाते हैं

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  10. bhai gajab kaa likha hai

    mujhe is end bahut pasnand aaya jo kii tumne sahii me baad me likh kar bhii bahut acha likha hai .........

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  11. प्यार ईश्वर की दिया अमूल्य वरदान है.....
    जब व्यक्ति को पत्थर बन जाने का दिल करता
    है,ईश्वर उसमें प्राण-संचार कर रहे होते हैं.....
    और ऐसे में खामोशी खूबसूरत होती है
    बहुत अच्छी है पर आशा कभी नहीं खोनी है

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  12. कई बार पढी आपकी रचना लगा मन में कोई दुविधा है शायद इसलिए कविता में बिखराव है यूँ एक
    अच्‍छी बात है कि शब्‍दों में गहराई है थोडा संयत होकर लिखें...

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  13. मन के भावः सुंदर तरीके से पिरोये हैं अक्षय जी
    गहरी बात कही है

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  14. sundar rachna - par ishvar to hum sab mein hai, patthar to hamne hi tarasha hai apne sahare ke liye

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  15. kya ho gaya hero... ye nirasha kyon aa gayi yaar.. hum eeshwar nahi hai ..... jeena to hai ,aur wo bhi poori himmat ke saath ..

    aur bhal patharo mein koi jeevan hota hai...

    tumhara naam hi akshay hai , jeene ka dusara naam ..

    itna accha likh rahe ho.. ye rachan shilp ke nazariye se best hai ..


    vijay
    pls visit my blog :
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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  16. इश्वर कैसे जी जाते हैं...वाह..बहुत सधी हुई अच्छी रचना है..लिखते रहें....
    नीरज

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  17. dua mangi bhi to kya mangi..........uske patthar banne ki aur phir ishwar banane ki,phir uske jeene ki..........wah-wah

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  18. बहुत खूब लिखा है. जबरदस्त.......... और हाँ फोटो सेलेक्शन बहुत ही अच्छा है.

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  19. आपको तथा आपके पुरे परिवार को नव्रर्ष की मंगलकामनाएँ...साल के आखिरी ग़ज़ल पे आपकी दाद चाहूँगा .....

    अर्श

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  20. नया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !! नव वर्ष-२००९ की ढेरों मुबारकवाद !!!...नव-वर्ष पर मेरे ब्लॉग "शब्द-शिखर" पर आपका स्वागत है !!!!

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  21. नव वर्ष के आगमन पर मेरी ओर से शुभकामनाएं स्वीकार कर अनुग्रहीत करें

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  22. आपको नए साल की शुभकामनाएँ|

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  23. nayi si soch hai.. patthar ke bhi kayi gun hote hain . ishwar pattharon men nahi jite balki hum patthar men bhi ishwar khoj lete hain. rachna khoobsurat hai.
    badhai

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