जलती हुई इस रात मे सुलग रहा हूं मैं और
धुंआ बन उड़ रहा है ये वक्त ...
कुछ नही तो एक झोंका मेरी सांसों का सुलगते इस
जिस्म को और भी जला जाता है ...
जिंदगी की इस चिता मे जलती आग को और तेज़
भड़का जाता है ...
ना राख बन बिखरता हूं
ना मौत से मिलता हूं
जिंदगी की ना बुझने वाली चिता मे
जिन्दा ही जलता हूं !
गरजती तो हैं बिजलियाँ बेबस हो मजबूरियों से लेकिन
बरसती नही ये मौत ...
जो इस जलती चिता को कभी तो बुझा दे
कभी तो बरस ऐ मौत जिंदगी की इस जलती चिता पर
कभी तो इस जलते जिस्म की प्यासी रूह को अपनी आगो़श
मे ले और डूब जाने दे अपनी गहराइयों मे जहाँ कोई
स्वार्थी आग और जिंदगी जैसी चिता ना हो !!
अक्षय-मन
धुंआ बन उड़ रहा है ये वक्त ...
कुछ नही तो एक झोंका मेरी सांसों का सुलगते इस
जिस्म को और भी जला जाता है ...
जिंदगी की इस चिता मे जलती आग को और तेज़
भड़का जाता है ...
ना राख बन बिखरता हूं
ना मौत से मिलता हूं
जिंदगी की ना बुझने वाली चिता मे
जिन्दा ही जलता हूं !
गरजती तो हैं बिजलियाँ बेबस हो मजबूरियों से लेकिन
बरसती नही ये मौत ...
जो इस जलती चिता को कभी तो बुझा दे
कभी तो बरस ऐ मौत जिंदगी की इस जलती चिता पर
कभी तो इस जलते जिस्म की प्यासी रूह को अपनी आगो़श
मे ले और डूब जाने दे अपनी गहराइयों मे जहाँ कोई
स्वार्थी आग और जिंदगी जैसी चिता ना हो !!
अक्षय-मन
अच्छी भावपूर्ण रचना लगी आपकी
जवाब देंहटाएंna rakh ban..na maut se milna...
जवाब देंहटाएंbhaut khub jidnagi jinda chita..wah kya andaz hai...magar sirf likhne me rahe dua yahi hogi meri
sakhi
bahut badiya mere dost
जवाब देंहटाएंbahut se bhaavo ko ek saath jod kar mulywaan rachna banayi hai
sirf ek galti " aahosh " ke staan par :aghosh' ko likhe de , ye aapki choti si typing error hai kyonki "G " aur "H " paas paas hai .
yaar aap mujh jaise hi emotional ho ..
keep it up..
vijay
बहुत गहरे आंसुओं की जिल्द में लिपटे भाव,
जवाब देंहटाएंबहुत झ्क्झोरनेवाला ........पर उम्र नए ख्वाब संजोने की है
और इसके लिए ज़िन्दगी अभी गा रही है.......
आप बेशक बहुत आगे जायेंगे...शुभकामनाएं. बस जारी रहिये.
जवाब देंहटाएंना मौत से यूं मिलते रहो
जवाब देंहटाएंना राख बन बिखरते रहो
ज़िंदगी की अबूझ चिता में
यूं रात दिन निखरते रहो
Bahut umda, lekin jindagi ko itne nakaratmak nazarie se dekhne ki umr nahi aapki. Try to think & write positivelly.
जवाब देंहटाएंअक्षयजी, लाजवाब ब्लाग बनाया है आपने कवितायें भी लाजवाब... बधाई।
जवाब देंहटाएंyaar aajkal kaunsii chakki kaa aataa khaa rahe ho ..............saala jo likh rahe ho achaa likh rahe ho ...........
जवाब देंहटाएंweldone bhai ..........mast jaa rahe ho ......
manas
बहुत ही खूब अक्षय जी
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा आपने बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कहा आपने बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएं" bhut gehri dard kee anubhutee krati aapke ye rachna dil ko kaheen gehre tk chu gyi hai..."
जवाब देंहटाएंRegards
आपके बुलावे का धन्यवाद, ...इस कविता को समझने लायक नहीं रहा मैं...क्षमा करं...आग तो अवश्य दिखती है...पर कुछ अलग संदर्भ हैं....फ़िर कभी सही...आपके निमन्त्रण का धन्यवाद.....उम्मेद साधक
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता,बधाई
जवाब देंहटाएंअशोक मधुप
achchee kavita hai Akshay.Nirasha ke bhaav mukhar hain.likhtey raheeye
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंना राख बन बिखरता हूं
ना मौत से मिलता हूं
जिंदगी की ना बुझने वाली चिता मे
जिन्दा ही जलता हूं !
बहुत सही कहा है।
garajti to hai bijaliyan bebas ho majburiyon se lekin......... wah kya khub likha hai ,gahari abhibyakti dali hai bahot hi umda lekhan.... dhero badhai aapko........
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण!
जवाब देंहटाएं'लकड़ी जल कोयला भई,कोयला जल भयो राख
मैं बिरहन ऐसी जली, कोयला भई न राख।'
बधाई और शुभकामनायें।
bahut hi achcha likha hai
जवाब देंहटाएंzindagi chita hi hai har pal jalte rehna hai
chita to ek bar jalati hai magar zindagi ki chita mein pal pal jalna hai
aapne zindagi ko dekhne ka jo nazaria diya hai bilkul sahi diya hai
zaindagi khud ek jalti chita hai