गुरुवार, 27 नवंबर 2008

मैंने मरने के लिए रिश्वत ली है ,मरने के लिए घूस ली है ????

हमारे सिपाहियों को मिलता क्या है ......... ?????/
कहीं कुछ की वजह से बदनाम हैं तो उनको याद कौन करेगा जो शहीद हो गए हैं ,सबकी नज़र में एक ही छबी बसी हुई है पुलिस डिपार्टमेन्ट की, उनको किस-किस ने देखा जो बलि चढ़ गए सिर्फ हमारे लिए हमारे देश के लिए ये बात सोचने की है एक सिपाही और एक आतंकवादी दोनों के क्या मकसद है दोनों को मिलता क्या है? ये कड़वा सच लेकिन दोनों को एक ही नज़र से देख रहे हो आप, क्या नहीं करता भारतीय सैनिक उसकी एवज में उसे मिलता क्या है सिर्फ़ बदनामी और रिश्वतखोरी का तमगा और आतंकवादियों को मिलता है ऐशो आराम जी भर उडाने के लिए पैसे
अब बताये लालची कौन है वो जिसे रिश्वतखोरी का तमगा दिया आपने या वो आतंकवादी जो बिना किसी बात केलोगो की बलि चड़ा रहा है जिसने आतंकवाद को अपना रोजगार बना लिया है!
इसके जिम्मेदार हम ख़ुद हैं कमजोर कर रहे हैं उन्हें ये सब बातें कहकर कामचोर,रिश्वतखोर न जाने क्या-क्या
जीतेजी कभी वीर-साहसी कहा जाता है उसे जो देश के लिए अपनी जान की बाजी तक लगा देते हैं जो ईमानदार हैं हम एक इंसान को ग़लत कहे सकते हैं पूरे डिपार्टमेन्ट को नही..क्या है आपकी नज़र में अब भी पूरा डिपार्टमेन्ट रिश्वतखोर?? मरने के लिए भी रिश्वत ली है उन्होंने आतंकवादियों से?
क्या अब आप उन शहीदों को रिश्वतखोरी का तमगा देंगे या साहस और बलिदान का ,अब आपका नजरिया बदल जाएगा क्युंकी यहाँ पर आप नही हैं आपके हाथ में बन्दूक नही आप नही लड़े लेकिन अब लड़ना है अब बन्दूक उठानी है उस आम नागरिक को भी क्या उचित होगा नही जानता इसके अलावा कोई उपाय है, आपकी नज़र में तो सब कामचोर रिश्वतखोर हैं अब आप बनिए इमानदार देशप्रेमी आइये मेरे साथ उठाइए बन्दूक चलिए आतंकवादियों को ख़त्म करने... कर सकते हैं?शायद नही कर सकते है न..तो आपको कोई हक नही बनता किसी को कुछ कहेने का !!"अब आप ही बताइए क्या एक सिपाही की वीरता और साहस को नज़र अंदाज़ कर दिया जाता है बोल दिया जाता है ये तो इनका काम है ! देश के लिए जान देना क्या एक सिपाही का यही काम है????अच्छा चलो ये भी मान लेते लेकिन उसके बदले में आप उसको देते क्या हैं सिवाय बदनामी ,रिश्वतखोरी के तमगे से सम्मानित करते हैं उसके जीते जी, और मरने के बाद वो वीरता पुरुस्कार देते हैं फ़िर वो किस काम का उसे क्या मिला जीवन में जीते जी ??? .मिला भी तो मरने के बाद ये कहाँ का न्याय है??????
बस उसे नाम दे दिया जाता है देश के लिए शहीद हो गया .
वाह रे! मेरे देश...वाह ! अक्षय-मन
प्रेरणा स्रोत ->शमा जी
इसे देखकर बताइए
वीडियो क्या हम ये कदम उठा सकते हैं?
अब ये कमेन्ट पढिये ..

"बेनामी said,
November 27, 2008 at 8:35 am
ये मेरे देश पर हमला है, हमारे देश पर हमला है और हम में हिन्दू मुसलमान, सिख सभी धर्म के लोग शामिल है. हमारे प्रधानमंत्री और हमारे देश के विपक्ष के नेता आडवानी जी दोनों कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.
ये सिखाये पढ़ाये विदेशी हमलावर हिन्दू और मुसलमान के बीच विवाद की बात कह रहे हैं, और हम उनके खिलौने साबित हो रहे हैं!
मैं हेमन्त करकरे को शायद पसन्द नहीं करता था लेकिन उसने उस समय मेरे देश को बचाते हुये अपनी जान दी है जब मैं रजाई ओढ़ कर टेलिविजन देख रहा था? मेरे जैसे लोग किस मुंह से उसकी बराबरी कर सकते हैं? किस मुंह से मैं उसके बारे में गलत बोलूं?"
मेरे देश मुझे माफ करना, शायद मैं भटक रहा था!"

24 टिप्‍पणियां:

  1. " आज शायद सभी भारतीय नागरिक की ऑंखें नम होंगी और इसी असमंजस की स्थति भी, हर कोई आज अपने को लाचार बेबस महसूस कर रहा है और रो रहा है अपनी इस बदहाली पर ..."ईश्वर मारे गए लोगों की आत्मा को शान्ति प्रदान करें . उनके परिजनों को दु:ख सहने की ताकत दें .

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  2. एक सराहनीय और काबिले तारीफ प्रयास जिससे हर हिन्दुस्तानी को जुड़ने और जाग्रत होने की आवश्यकता है ।

    वाकई आज आतंकवाद के खिलाफ हम सब हिन्दुस्तानियो को (चाहे हिंदू हो या मुस्लमान या अन्य कोई धर्म के ) एकजुट होकर कमर कसने की अत्यन्त आवश्यकता है । आतंकवादियो का कोई धर्म नही होता , यह हमें अच्छी तरह समझ लेना चाहिए और इसे हिंदू आतंकवाद या मुस्लिम आतंकवाद के नाम से नही जोड़ना चाहिए ,क्योंकि इनके हमले में जो निर्दोष मारे जाते है वो हिंदू भी होते है और मुस्लमान भी

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  3. Akshay, Maine kaafee lambee chaudi tippanee kal dee thi...kahan gayab ho gayee?

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  4. well i can just say that nobody has any right to say bad words about any police officer who has given his life for country people,jo log unhe bua aur rishwatkhor keh rahe hai ,un mein itti himmat nahi ki banduk uthake terrorist ke samne tak jaye.aare kaun dhudh ka dhula hota hai,magar jo khun sedhul jaye wo saccha deshbhakt,bolnewale sirf bolte hai,haa rishwat li hogi us policewalene ya nahi,magar he died for his country.but i cant do that,i cant give my life for india,thats why he is great man in my eyes.thats why i feel sorry for myself that i love my life more than country.

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  5. Akshay....tumne mera lekh padha ya nahee?? Mai sabse pehle tippanee dena chah rahee thi lekin vedio atak, atak ke chal raha tha.....
    Mujhe sirf itna samajh aata hai ki ki aatankwaadiyonka koyi mazhab nahee hota, jaat paat nahee hotee....wo sirf aatak failate hai...wahee unka karm hai...ye bike hue. kayar aur pagal log hain...inka maqsadhi ye hai ki aam aadami boukhala jaye....baukhlahatme kuchh aise qadam uth jayen ke inke man jaisa ho jay....divide & rule..aur dooriyan badhana chahte hain aur sirf muttheebhar log aise hain...aur poore deshko girvi rakh diya hai...is waqt hame sabse adhik zaroorat hai, uktiki....na shakitki....han shakteeka darshan karana ho to ek saath milke qadam uthao...wilakshan soojh boojhke saath...warna ham wahee kar baithenge, jaisa ye chahte hain...aapasme lad maren!!Tumhen kya lagta hai ki ye teen afsar( auronke alawa) jo mare inkaa dard mujhe nahee? Are inhen to maine apne haathonse khilaya hai.....unse itna pyar mila hai mujhe ! Mai chahungi ke inkee shahdat zaya jay...? Qatayee nahee...!Par apne manki beenake taar milao kanyakumarise kashmeertak ek aawaaz uthe..." Ham ek hain, Ham ek Hai, aawaaz do ham ek nahee!" Kuchh tuchhe log log hame bikher nahee sakte...yahee waqt hai...apnee aawaz buland karo...nidar ho jao aur kaho, ye desh hamara sabkuchh hai...ise barbaad nahee hone denge...hargiz nahee...Phir kahungee...atank kaa mazhab sirf aatank hai...na Hindu na Musalmaan...ULFA ko lelo, LTTE ko dekh lo, khalsa ko dekh lo, naxalwadiyonko dekh lo...are inhen sirf paise aur ashanteese matlab hai....Aao ham sab haath milayen...ek baar phir apneaapko aazaad karen...is andaroonee atankse...bhayse....Vande Mataramki aawaaz buland karen...itnee ki murdabhi sun sake....meree saans rahe na rahe par meree ye dua qubool ho...Jayhind !Vandematarm !
    Tumhara intezaar hai mere blogpe aur chahtee hun ki aajka mera lekh dabke na pada reh jay.

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  6. Badee nirash hunki, meree shrinkhala'"Phir ek baar pe" comment karnewaale...itne manse padhnewale aaj khamosh kyon hain??Kyon koyi kuchh padkebhi likh nahee raha ? Isme sochneki kya baat hai...are sirf itna to keh sakte hain ki ham aapke saath hain??Ham sab ek hain? Maine Akshay ke blogpe likha tha ki ateriki sirf atireki hote hain...unka koyi mazhab nahee...ULF, LTTE, Naxalwaadi sanghatnayen, panjab me khalsa ki maang...uski vajahse hua qatle aam...malegaonme pakde gaye army ke afsar...kaun hain ye??Kya dharam aur mazhab hai inka? Kya ham ,bharteey honeke naate apni apni taurse lalkar nahee sakte ki ham ek hain ? Hame taqseem karneme atireki sanghatnaye safal safal nahee hongee...ham hone nahee denge....kya Ashok, karkare...ye sab maare gaye hamaree aur unke pariwarwalonke aankhonke samne...unka balidaan wyarth jayega??

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  7. लोग दिलचस्पी सामाजिक सारोकारों में कतई नहीं लेते. ये बात कटाक्ष है, सत्य है. और ये आदमी की बड़ी कमजोरी है. जब हम सामजिक और देश के हालातों को बेहतर करने व अपना योगदान देने के लिए हर वक्त तत्पर हों तो निश्चय ही हमारी निजी जिंदगियां भी बेहतर हों.

    आतंकवाद आजका मसला नहीं. चूँकि आजकल जोरों पर है. लोग तब भी खामोश हैं. शर्म की बात है. इस तरह के कई मसलों के लिए इन्टनेट पर मेरी फोन पर कई सूरमाओं से कई बार भिड़ंत हुई. चूँकि उन्हें कोई वास्तविक न क्षणिक मतलब था न दूरगामी सो निष्कर्ष के निकलने की बात ही कहाँ थी. मेरा दावा है, जो लोग आज खामोश हैं, उनके घरों में, उनके पडोसन में धमाके हों तो निश्चित हो उनकी नींद उडेगी और वो बौखला जायेंगे इस तरह का अमानवीय कृत्यों से और फ़िर उनके अन्दर भी शायद जोश आए...कुछ करने का. अंत में; लोग इंतज़ार में है...देखियेगा...होना है क्या-क्या...

    "उल्टा तीर" पर अब करीबन १ माह हो ही चुका है, "आतंकवाद" पर बहस को चलते हुए...चूँकि हमें बेहतर कल चाहिए, और आज के सभी अमानवीय व दंशों से मुक्ती चाहिए, कुछ बेहतर निकल सके, हमारे लिए...इसलिए मैंने न चाहकर भी "उल्टा तीर" पर दूसरी पोस्ट समाधान खोजें...का विचार किया...पर इस पूरे माह में शर्मिन्दगी के सिवा कुछ नज़र नहीं आ रहा...ये नकारात्मकता नहीं...मगर अंदेशा है बुरी चीज़ों का यूँ ही घटे रहना...जो लोग दम भरते हैं...समाज और देश की भलाई के लिए...बड़े मक्कार हैं...दरअसल वो अभी भी उसी भीड़ मैं शामिल हैं...जहाँ सिर्फ़ उन्हें ख़ुद को एक बड़ी ऊंचाई पर स्थापित करना है और कुछ नहीं.

    जो लोग अभी भी "आतंकवाद" के संदढ़ में कुछ कहना चाहते हैं...बहस में भाग लेना चाहते हैं...तो "उल्टा तीर" पर आयें.

    ---
    अमित के. सागर

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  8. शहीदो की मज़ारो पे लगेंगे हर बरस मेले..
    वतन पर मिटने वालो का यही बाकी निशा होगा

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  9. अक्षय जी...
    बहुत मंजू करीना में आपने ढाला है अपने निदा-ऐ-महफूज को..

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  10. अभी थोड़ी देर पहले मैं संजय जैन के साथ श्री दिनेश राय द्वेवेदी की रचना पढ़ रहा था ताज़ा सन्दर्भ की आप पढ़ना /आपने बहुत बढिया तथ्य की और ध्यान आकृष्ट किया है

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  11. feel like laughing at people who even cant respect a shahid person,what respect they must be having for the country.the issue is not about the charector of the dead man,but the feelings u carry for any respectable soul.people who tease them why dont they themselves go and fight with terrorist then?

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  12. Akshay ji,aapki film bhi dekhi aur desh ki vartman stihti pr chinta bhi mehsus ki...ham sub ek jut hain ye tucche kism k aatakvadi hmara kuch nahi bigad sakte. jo sahid hue unhen salyut hai hmara. JAI HIND.

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  13. sradhanjali un shahido ko jinhone hamare sukun ko banaye rakhne ke liye hamesha apni kurbani di hai..ham sabko ek jut hoke ye kar dikhana hai ki unki kurbani jaya na ho.,...sahi kaha..jab jawan aur polic jagti hai ham chain se sote hai phir bhi in par na jaane kitne ilzaam hote hai..karta koi ek hai aur badnaam sab hote hai..

    tab ham ye bhul jate hai koi bhi mushibat jab bhi desh pe samaz pe aayee hai tab hamari sena ya polic apne sukh chain ki parwaah na kar us aafat se bheede hai aur phir se sukun kayam kiya hai desh mein.

    aap sabki raay padi aur yakeenan ham sab sath hai..is burayee se ladne ke liye.

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  14. akshya,

    main aap ke saath hoon . aur hum sab bharteeya ek saath hai ..

    vijay

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  15. desh ki yahi vidambana hai ki jo karta hai, wahi sabse jayda defame hota hai.........lekin phir bhi wahi bina kisi lalach ke karte ja rahe hain.......Hats off to all the brave soldiers.......unko shat shat naman

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  16. priya akshay ,vakai ye chintaniy baat hai .
    maine bhi kuch likha hai ...
    सियासत तुझसे हमें
    बासी सांत्वना नही चाहिए
    सियासत शहीदों और मासूमों
    की चिताओं पर
    तेरे आंसू भी नही चाहिए
    आतंक से अब लडाई
    होनी ही चाहिए
    बहुत हो चुका अब तेरा सियासी तमाशा
    सियासत तेरे सीने से भी अब आग निकलनी चाहिए
    luv u brother
    amitabh

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  17. akshay ,

    kuch naya likho . mera dil tumhari nazmen padhne ke liye baichain ho raha hai .

    vijay
    http://poemsofvijay.blogspot.com/

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