बुधवार, 10 सितंबर 2008

वक़्त


वक़्त की उन शाखों से टूटे हूए लम्हों का हिसाब मांगता हूं
अगर दुःख वक़्त के साथ -साथ गुजर जाता तो मैं यादों को
एक सवाल मानता हूं
ये सवाल,ये हिसाब न जाने कब सूलझे ,
वक़्त कभी नही सोता ये मैं भी जानता हूं ।

वक़्त से वक़्त माँगा वक़्त के साथ चलने के लिए
वक़्त ने हमें वक़्त तो ना दिया सवाल जरूर खड़े कर दिए
बस उन्ही सवालों में कुछ इस कदर घिरा रहा
वक़्त तो आगे बढ़ गया
और मैं वहीँ खड़ा रहा ।

सितम ढाते वक़्त को बदलने की कोशिश तो हम किए गये
इसमे गुमनाम भी हो गये चहरे भी बदल गये
लेकिन न जाने क्यूँ?
वक़्त तो ना बदला हम जरूर बदल गये
अब वक़्त जानता है हमें उसके हर सितम सहने की आदत सी हो गई
और इसपर वो सितम ढाता रहा हम सहते गये
आँसू तो ना बहे ज़ख्म जरूर नासूर बन गये
बस यही तो एक गम है कि आँसू ना बहे
वो ना बने मरहम
वो काश! बन जाते मरहम उन जख्मों के लिए
जो हर घड़ी, हर कदम वक़्त के हाथों कुरेदे गये ।

जानते हो बुरे वक़्त कि भी एक खासियत है
कि वो भी गुजर जाता है
लेकिन गुजरते हुए भी कुछ दाग दामन पर छोड़ जाता है
ये दाग दुनिया कि नज़रों से कैसे छुपा लूं ?
या फिर बुरे वक़्त के साथ ही जीवन गुजारूं
कैसे सवाल हैं ये,मुझसे क्यूँ पूछते हो मैं नही जानता हूं
वक़्त कभी नही सोता बस मैं यही जानता हूं
यही जानता हूं ॥

12 टिप्‍पणियां:

  1. जानते हो बुरे वक़्त कि भी एक खासियत है
    कि वो भी गुजर जाता है.........
    bahut sahi,sundar aur ankahe dard ka vishleshan !
    par bure waqt ka apna ek mahatwa hota hai,yah kundan ki tarah nikhaarta hai,bitte - bitte bahut kuch de jaata hai

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  2. वक़्त कभी नही सोता बस मैं यही जानता हूं****


    बहुत ही गूढ़ दर्शन की बात की है आपने, ....
    साधुवाद...

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  3. हमेशा की तरह अच्छी रचना. लिखते रहिये.

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  4. अपनी कलम को रोकना मत,आशीर्वाद
    बहुत सार्थक लिखने के लिए

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  5. बस उन्ही सवालों में कुछ इस कदर घिरा रहा
    वक़्त तो आगे बढ़ गया
    और मैं वहीँ खड़ा रहा ।


    jeevan snaym ek prashn-chinh hai...
    an-utharit prashna hamesha rah jaayenge...

    bas....
    man kee shkti saath rahe.....

    koee chinta naheen.....

    sundar.....


    meree kaitaen aapse jyaada rahasymayee naheen hain....comments den sabhee par.....aabhaar.....

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  6. जानते हो बुरे वक़्त कि भी एक खासियत है
    कि वो भी गुजर जाता है
    लेकिन गुजरते हुए भी कुछ दाग दामन पर छोड़ जाता है

    Umda likha hai, yu hi achcha likhte rahe.

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  7. bilkul sachi bat likhi hai aapne wakai bahuti achhi rachana hai......bure waqt kya khub paribhasit ki hai aapne....

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  8. dost yeh waqt hi hai kam pad hi jaata hai...........
    bahut khoob likha hai
    maine bhi waqt parkuch likha hai,aapki saraahna chahta hoon..........

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