लौटना पंछी का ...
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*रोज़ देखता हूँ खिड़की के झरोखे से *
*सूखी टहनी से लटके बियाबान घौंसले की उदासीमहसूस करता हूँ बाजरे के ताज़ा
दानों की महक रह रह के झाँकती है इक रौशनी ...
2 दिन पहले
•«♥»• मैंने अपने आपको क्षमा कर दिया है। बन्धु, तुम भी मुझे क्षमा करो। मुमकिन है, वह ताजगी हो, जिसे तुम थकान मानते हो। ईश्वर की इच्छा को न मैं जानता हूँ, न तुम जानते हो। रामधारी सिंह दिनकर •«♥»•
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