तुम्हारी कविता ...
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*तुमने कहा लिखो कविता मेरे परचली गयीं फिर दूर, चाहे कुछ पल के लिए हालांकि
तुम जानतीं थींमेरी हर कविता तुमसे शुरू हो करखत्म होती है तुम पर शब्...
3 हफ़्ते पहले
•«♥»• मैंने अपने आपको क्षमा कर दिया है। बन्धु, तुम भी मुझे क्षमा करो। मुमकिन है, वह ताजगी हो, जिसे तुम थकान मानते हो। ईश्वर की इच्छा को न मैं जानता हूँ, न तुम जानते हो। रामधारी सिंह दिनकर •«♥»•
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