
रोते-रोते मेरी उम्र भी कट जाती अश्को के
इस समुन्दर में मेरी कश्ती भी संभल जाती
अब ये उम्र कैसे गुजारुं आंसुओं की तलब ने सोने न दिया
दिल में अश्को का समुन्दर है उसमे डूबा है तू
तेरे वादों के भवर में फंसी हूं मुझे उभरने न दिया
मेरे होंठो पर हंसी नहीं दिखती रूखे हैं
अश्को की बारिश इनपर नहीं गिरती
न छलके हंसी होठो पर तुने पलकों को भी भिगोने न दिया
ज़हर पीने की तो आदत थी मुझको
अमृत अश्को का मुझे पीने न दिया
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