सोमवार, 4 अगस्त 2008

ढाई आखर प्रेम के


वो पावन सा है दिल जिसका जो मोजों की रवानी है
वो सावन सा है मन जिसका जो ओंसो की जवानी है
ना ये तेरी कहानी है ना ये मेरी कहानी है
ढाई आखर प्रेम के इतनी बात बतानी है
ये प्रेम कहानी है!
मैं तुझसे दूर हूं लेकिन एहेसासों में मैं जीता हूं
तू गर है मदिरा तो मैं मदिरा की आतुरता हूं
कहाँ जाएगा तू बचके इतना तू बतला दे
है अगर समुंदर तू मैं उसका अहाता हूं
कभी अश्को का बादल था
अब खुशियों का सागर हूं
कभी तिनको का आँचल था
अब महफिलों की गागर हूं !
किसी का तू दीवाना था अब दुनिया तेरी दीवानी है
मानो तो प्रेम ही जीवन न मानो मनमानी है
ना ये तेरी कहानी है ना ये मेरी कहानी है
ढाई आखर प्रेम के इतनी बात बतानी है
ये प्रेम कहानी है
ये प्रेम कहानी है!!


5 टिप्‍पणियां:

  1. किसी का तू दीवाना था अब दुनिया तेरी दीवानी है
    .................
    प्रेम की खूबसूरत बानगी...

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  3. वाह, बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति है..!!

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  4. भाई वाकई अनुपम रचना है ढाई आखर प्रेम को आपने जिस खुबसूरत अंदाज़ में पिरोया है वह कबीले तारीफ है | प्रेम की अभिवयक्ति आपने कितने प्रेमपूर्ण तरीके से की है कि मैं प्रेममय हो उठा हूँ आगे भी इसी तरह प्रेम कि फुहारों से हम सबों को भिगोते रहें
    सुभकामनाओं के साथ "सागर"

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