शनिवार, 29 नवंबर 2008

एक दर्पण,दो पहलू और ना जाने कितने नजरिये /एक सिपाही और एक अमर शहीद का दर्पण

ये आवाज है एक सिपाही और एक शहीद की....
एक सिपाही शहीद होने से पहले तुमसे ये कहना चाहता है -
*****
जख्मी हूं क्यूंकि मैं भी तेरे जैसा जिस्म और नाम रखता हूं
ईमान कि बात मत करो,मैं देश के लिए अपनी जान रखता हूं
माँ का आँचल,बहन का प्यार रखता हूं ,किसी कि नज़रों का
वो सुना-सुना इंतज़ार रखता हूं

अब बोलो तुम ज़रा क्या यही खता है मेरी आज
तेरे लिए सब छोड़ आया,अब दिल में छुपाकर अपना छोटा सा
परिवार रखता हूं
तुझसे मिले ना मिले वो प्यार ,दिल में नही कोई सवाल रखता हूं
मैं तेरा ख़्याल रखता हूं बस यही एक अधिकार रखता हूं

मैं किन-किन की नज़रों में व्यापार करता हूं ?
तो सुनिए हाँ ये सच है कि मैं व्यापार करता हूं
तेरे लिए, देश के लिए अपनी खुशियों ,अपने सपनो का
बहिष्कार करता हूं
और तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं
ये सच है मैं जानता हूं कि तुम मेरी कीमत नही जानोगे फिर भी
तेरे कदमो में अपनी माँ से मिला वो आशीर्वाद,वो प्यार रखता हूं
मैं बस यही व्यापार करता हूं,दिल मैं नही कोई सवाल रखता हूँ
हाँ तेरी हिफाज़त के लिए एक बन्दूक,एक खंज़र,
एक तलवार रखता हूं

->अब वो शहीद कहता है पूरे अभिमान से पूरे सम्मान से पर अब तुमसे नही ख़ुद से कहता है और ख़ुद पर गर्व करता की मैंने देश के लिए कुछ किया है मेरा जीवन व्यर्थ नही गया है :-
****

शोला हूं,आतिश हूं,दिल हूं धड़कन भी हूं
देश मेरे तू,मुझे याद रखना इस माटी के कण-कण में मैं हूं

नाम दिया धरती माँ ने मुझको देश है मेरा मजहब
गीत,ग़ज़ल,दोस्तों की कुछ बातें और माँ कि लोरी हैं ये सिर्फ़ यादें
मैं देश के लिए समर्पित हूं यही वचन,यही हकीक़त
देश का दर्पण मैं हूं

बूंद-बूंद खून की मिली है माटी में जब-जब
धरती माँ से जन्मा हूं वीर सैनिक जवान मैं हूं
तेरी शान,तेरा अभिमान ,तेरा सम्मान मैं हूं
तेरे लिए जो खून का कतरा-कतरा समर्पित है
वो समर्पण मैं हूं

अक्षय,अमर,अमिट है मेरा अस्तित्व वो शहीद मैं हूं
मेरा जीवित कोई अस्तित्व नही पर तेरा जीवन मैं हूं
पर तेरा जीवन मैं हूं

मैं अनुराग मैं प्रयाग और मैं ही सुरों का राग हूं मैं एक नई सुबह का अवतार हूं
मैं रंग मैं रत्न और मैं ही रोनक हूं इस नई सुबह में रवि कि लालिमा मैं हूं
मैं ज्योति मैं ज्वाला मैं जोश का जुटाव हूं रमणीक रश्मि से पिरोई जय-माला मैं हूं
मैं संताप मैं सुरभि और मैं ही सुरों का संगम हूं इस सृष्टि का सर्जन(जन्मदाता) मैं हूं
मैं सुबह मैं रश्मि मैं रवि मैं सृष्टि मैं जीवन का सार हूं और हूं सर्वोदय भी समापन भी
मैं हूं मैं ही समय का संचार हूं
-
अक्षय-मन
ये चंद पंक्तियाँ उन शहीदों के नाम....और इसके साथ-साथ उन्हें नतमस्तक हो आदरपूर्वक पूरी आस्था के साथ श्रद्धांजलि देता हूं

->और फिर उठता है ये सवाल आतंकवाद से कैसे निपटा जाए ???

ये मेरा मानना है मेरा नजरिया है आतंकवाद से तब ही निपटा जा सकता है जब आम नागरिक को होंसला नही, उसे होंसला उसे विश्वास देने की जरूरत है जो आतंवादी से लड़ता है उसका सामना करता है हम उस सिपाही को होंसला दे सकते हैं और "ये आराईश का काम "पूजनिये शमा जी" बखूबी से अंजाम दे रही हैं घर-घर जाकर होंसला अफ़जाई कर रही हैं वो भी बिल्कुल अकेले घर से बहुत दूर अपनी परवाह न करते हुए देश की परवाह कर रही हैं उनकी आवाज किस-किसने सुनी और कौन-कौन है उनके साथ ? जो ख़ुद मुंबई मे रहते होंगे वो भी नही गए होंगे उन बेसहारों से मिलने,फिलहाल अभी मदद की बात नही करता..वो अभी सरकार पर ही छोड़ दीजिये किस-किस के साथ कितना न्याय करती है ...
श माँ जी आपको शत्-शत् नमन चरण-स्पर्श....
आपके लिए कुछ पंक्तियाँ रखना चाहूंगा.... बहुत कम है लेकिन....
अपने हों कम उसके लाखों हों दुश्मन जिसके
समय से हार न माने वो चलती रहे पूरी लगन से जो
तेज-दीप्ति दर्पण हो हर नारी का,रूप हो जिसका आदर्शता
वो कहलाएगी अपराजिता,अपराजिता.. आपके ही जैसे..
आपका बच्चा


हम
तो सिर्फ़ बातें, विचार बाँट सकते हैं और साथ ही साथ होंसला भी दे सकते हैं हथियार हर कोई चला नही सकता परिवार होता है घर-बार बच्चे होते हैं, माँ होती है, बहन होती हैं, पत्नी होती है उनकी रक्षा भी तो अपना ही कर्तव्य है तो pls उनको सिर्फ़ और सिर्फ़ होंसला दीजिये जो देश के लिए जंग लड़ते हैं.....क्या हम इतना नही कर सकते ?इतना तो कर ही सकते हैं..है ना? कुछ नही तो हम अपनी तरफ़ से मन्दिर बनाते हैं ,मज्जिद बनाते हैं नेताओं को बुलाते हैं बड़े-बड़े फंक्शन में बहुत कुछ करते हैं अपने लिए बहुत पैसा गंवाते हैं ,अब क्या-क्या कहूं इस समय मीडिया को बीच में नही लाना चाहता :) कभी ध्यान से सोचना आप जो एक सैनिक के लिए करते हैं तो क्या आप वो अपने लिए नही करते ?अरे ! देखिये उसमे आपका ही स्वार्थ है स्वार्थ तो................है न ? एक रक्षक जो आपको,आपके घर आतंक की नज़र से बचा रहा है उसके लिए कोई कुछ नही करता कैसा प्रचलन हो गया अपना है ना ? इस नज़रिए से सोच कर देखिये यही बिनती है आपसे...
और हाँ एक महत्वपूर्ण बात तो बताना भूल ही गया की सिपाही का कोई मजहब नही होता वो एक साथ हाथ से हाथ मिला देश के लिए और आपके लिए उस आतंकवादी उस दुश्मन का सामना करते हैं बिना किसी स्वार्थ के, वो मजहब को तराजू में नही तोलते कि में ड्यूटी पर इसके साथ क्यूँ जाउं ?क्यूँ इसके साथ दुश्मन का सामना करूं ये मेरे मजहब का तो है नही? सिपाही नही सोचता ये मजहबी बातें ये सब बातें भी हम ही आम आदमी सोचते हैं........
बस सोचिये....
और सिर्फ़ सोचिये...
और कुछ नही... :)
मैं एक मामूली सरकारी नोकर एक सिपाही की बात करे जा रहा हूं इतनी देर से और अब आप सोच में पड़ गए हो अरे ! अब कुछ नही कहूंगा उस मामूली सिपाही के लिए जानता हूं आप बोर हो गए होंगे.......है न हो गए न बोर ??
ये कुछ ऐसे ही सवाल हैं जो मुझे भी परेशान कर देते हैं मैं भी क्या करूं और किस-किसका साथ पकडूं होकर भी कोई नही मेरे साथ....अब आप ही बताइए क्या करूं ...गर मैं सही हूं तो किस-किस तक अपनी ये बात पहुचाउं अभी उम्र ही क्या है मेरी २० की गरम खून भी है और जल्दी भावुक भी हो जाता हूं और कुछ बुरा लगा हो तो क्षमा और क्या बोलूं और क्या कहे सकता हूं.....ग़लत हूं या सही हूं ये आपके नज़रिए पर निर्भर है.....
छोटा भाई या बेटा समझकर माफ़ कर दीजियेगा......
और हाँ आपकी एक ग़लतफहमी हो सकती है की ये सब ये इसलिए बक रहा है की इसके परिवार में कोई सैनिक है या कोई सिपाही है कोई नही है दूर से दूर तक विश्वास कीजिये और आप बहुत दूर की बात सोचें तो है मेरे परिवार में ही है लेकिन उस परिवार का नाम मेरा देश "भारत" है जिसके सदस्य आप भी हो..जानकर खुशी हुई हम सब एक ही परिवार के हैं....:) और हाँ
भारत देश के नाकि "INDIA" इंडिया का मतलब मैं नही जानता की उसे इंडिया क्यूँ कहा जाता है
ये बात अपनी "वन्दना मैंडम" को बतानी है मुझे ,उन्होंने ही ये पुछा था आपको मालूम है क्या? हर तरफ़ इंडिया का लेबल,मूल स्वरुप तो खो ही गया जो है भारत,और भारत नाम क्यूँ पड़ा ये आप जानते हैं तो फिर इंडिया क्यूँ? शायद नही पता होगा....मैं फिरसे वही कहूंगा बस सोचिये....
और सिर्फ़ सोचिये...
और कुछ नही... :)
अक्षय-मन..अक्षय-रहे बंधन

30 टिप्‍पणियां:

  1. इस दुखद और घुटन भरी घड़ी में क्या कहा जाये या किया जाये - मात्र एक घुटन भरे समुदाय का एक इजाफा बने पात्र की भूमिका निभाने के.

    कैसे हैं हम??

    बस एक बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह खुद के सामने ही लगा लेता हूँ मैं!!!

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  2. bahut hi gambhir vishay hai..kisey dosh den??sena ka ek jawan sirf desh ke liye sochta hai -bhaav puran abhivyakti ki hai aap ne apne lekh mein.
    main bhi sabhi saheedon ko shat shat naman karti hun.

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  3. akshay , bahut sahi likha hai aur satik likha hai , lekin , sabse bada sawal hai , ki , kab tak hum sab [ includes everyone ] kab tak yun hi baaten karte rahenge. jinke haaton mein sarkar hai , wo kya kar rahi hai . hum apna kaam kare, ki sarkar ka kaam karen ... bahut si baaten sochne ki hai ..

    vijay

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  4. Akshay, mujhe tumpe naaz hai...bohot achha likha hai mere blog pe tum jaise Bharat maake suputr hee use atankwadee vinash se bacha payenge...tumhari bohot zaroorat hai hamaree mata ko, uske sirpe taaj bana rahe, ham rahen na rahen....wo salamat rahe...

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  5. अक्षय भाई.... क्या लिखूं....आपके भाव बहुत अच्छे बन पड़े हैं..और जोशीले भी.. मगर मैं अपने आप को व्यक्त करने में काफी असमर्थ पा रहा हूँ...बस यही एक विचार है...आगे कैसे देश बचे...और हम सब जो अपने आपको देश की "असली संताने मानते हैं...देश के लिए कैसे...क्या..और कितना कुछ कर जाएँ...और यह भावना सिर्फ़ एकाध हादसों के सापेक्ष ही ना हो...बल्कि हमारी हर-इक साँस....हमारी हर इक धड़कन बन जाए....

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  6. NICE.. PAR AB BAAR BAAR EK HI BAAT LIKH KAR THAK GAYA HU, KOI KUCHH KARTA TO HAI NAHI.. SAB KUCHH WAISA HI CHALNE LAGTA HAI..
    SARKAR KE BHAROSE RAHNE KA WAQT NAHI RAHA.. AB HUM SAB KO AAGE AANA HI HOGA.. WARNA AISE HAADSE AUR BHI HOTE RAHENGE..
    NA HINDU YE SAB CHAHTA HAI NA MUSLIM..
    YE SAB BAAHAR SE KIYA JA RAHA HAI AUR ISME APNE DESH KE HI KUCHH GADDAR BHI SHAMIL HAIN..
    JARURAT HAI KI JITNA HO SAKE SARKAR KA SAHYOG DIYA JAYE AUR GUMRAH LOGO KO GALAT RASTE PAR JANE SE MANAA KIYA JAYE TABHI YE SAB AATANKWADI GHATNAAYE KAM HO PAYENGI..!!
    JAI HIND

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  7. ab mujhe koyi dar nahi, ...ab kyon Raj Thakre apne gharme ghuske baithe hain?? Aaye na samne aur aatankwadiyonse kahen ki ki " hamaree Mumbai" chhod do...par nahee...uske liye himmat jo chahiye..marneke liye haina maujood hamare jaabaanz afsar, jinpe is deshko naaz hai...jo behtareen chuninda afsaronmese the..hamne kho diye...aur thakre baithe rahe aone gharki surakshame...jab uttar bharteey commandos aaye to nahee gaye kehne ki chale jao, tum uttar bharteey ho, ki ham maharastr ke neta atirekiyonse nipat lenge? Jayen na Bihar, UP aur wahanke kareegar, bunkar jo atmhatya kar rahen hain, den unhen "Raj"ashray...unhne marnese bachayen...tab to koyi baat hogi ! Darpok kaheenke..us se zyada nidarta aur khuddaree Hemant ki patneene dikhayi..Modise dhanrashee lenese inkaar karke..wahi Modi jisne ek or to Karkarepe ilzaam lagaya tha ki wo ek achha "Hindu" nahee hai, ki wo "doosari bazooki" tarafdaaree karta hai (apna rajkeey hetu sadhya karneke liye...vote bank bananeke liye, Hemantko mohra banaya)aur ab jab wo " doosari Baazuki" goliyonse chhalani ho gaya to phir gaye apna ullu seedha karne, prasiddhee paane...ek karod leke us veerpatneeke paas...aur garv hai mujhe us auratpe jisne us dhanrasheeko asweekar kar diya...wah ! Kiseene aajtak kisee bhrast raajkarneeko, jo apna ullu seedha karna chahta ho, aisa karara tamacha khule aam nahee jad diya hoga...Akshay likho is baatkobhi...failao jan manasme ek jagruti...samajhne do logonko in netaonki fitrat...jis kaaran hamare deshne aise behtareen jaanbaaz afsaron ko khoya...

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  8. Aur ek baat kehne jaa rahee hun...ab mai khamosh nahee rahungi...bohot ho gaya ab mujhe garajke barasna hai, nidartase...ek documentary banane jaa rahee hun...mukhyataha, aatakvaad, jateeywaad, aur surakshake muddoko leke...jo sachhaee hai, wo samne lana chahti hun. Ham mese bohotse hain jo is baatse anabhigya hain, ki hamare antargat suraksha karmiyonke haath kistarahse baandhke rakhe hue hain. Unke oopar jo grihmantralay hai, jisme IAS ke afsar baith te hain, police ko leke saare nirnay we log lete hain aur ve log kabhibhi ye adhikaar apne haathonse chhootane nahi denge..badee afsoski baat hai, jawabdehi policewalonko karni padtee hai, jabki nirnay IAS ke afsranke hote hain !Kaisi ajeeb duvidhame hamare uchhstareey suraksha karmi rehete hain...na ugalte banta hai na nigalte...unhen apna muh kholneki tak ijazat nahee..

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  9. bahut marmik rachana,ek sainik ke man ke bhav bahut achhe se prastut huye.

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  10. बहुत अच्छा लिखा है. पर मुझे नहीं लगता हमारे बंधुबर नीद से इतनी जल्दी जागजायेगे. जो जन्मदाता है या जिनका परिवार हमसे होता है उन्हें भी तो हम जीवन के एक पडाव पर जाकर परिवार से अलग कर देते है फिर भारत जैसे विशाल परिवार को लेकर चलना तो नामुमकिन सा ही लगता है. इसका एक कारण आँखों पर बंधी स्वार्थ कि पट्टी भी है जिसके कारण हम स्वहित के अलावा कुछ सोंच ही नहीं पाते.

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  11. बहुत अच्छा लिखा है. पर मुझे नहीं लगता हमारे बंधुबर नीद से इतनी जल्दी जागजायेगे. जो जन्मदाता है या जिनका परिवार हमसे होता है उन्हें भी तो हम जीवन के एक पडाव पर जाकर परिवार से अलग कर देते है फिर भारत जैसे विशाल परिवार को लेकर चलना तो नामुमकिन सा ही लगता है. इसका एक कारण आँखों पर बंधी स्वार्थ कि पट्टी भी है जिसके कारण हम स्वहित के अलावा कुछ सोंच ही नहीं पाते.

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  12. Beta akshaya ...tum bahut hi achcha likhte ho ....itni choti si age main itna shabdon ko pakad pana behud hi mushkil kaam hai ...mera aashirvaad hamesha hi tumhare saath hai...hamesha hi tum isi tarah likhte raho...haste raho muskurate raho....is maa ki yahi kamna hai tumhare liye...poonam aunty....

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  13. बहुत भाव पूर्ण लिखा है आपने ...विचार बहुत अच्छे लगे आपके

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  14. " एक एक शब्द जैसे उस दर्दनाक हादसे को बयाँ कर रहा है, बहुत मार्मिक लेख फ़िर आंख नम कर गयी.."

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  15. मित्र शहीदों को सच्ची श्रदांजली की रचना लिखी है -एक भावः मन में उठता है कि -
    नमन करें उन शहीदों को जिनकी शहादत याद नहीं
    थे उत्कृष्ट सदा से तन-मन के लिखी किसी ने ख्यात नहीं

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  16. Kumar Akshay Gupta
    Aap ki kavita padke accha laga. ..very good wishes to you .hope to see you writing more and more of this kind.please visit my blog HEY PRABHU YEH TERAPATH & "MY BLOG" (http://ctup.blog.co.in) I also want to comment on my blog.
    Thank you and god bless you.

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  17. काफ़ी खुशी हुई लोगों की बहुतियात को देखते हुए. उम्मीद है बुराई के ख़िलाफ़ सभी एक साथ खड़े रहेंगे.
    --
    आओ आतंकवाद से लड़ें (०१-१२-०८)
    आतंकवादियों की ताभाही का मंसूबा सिर्फ़ मुंबई या फ़िर दिल्ली हिया नहीं...६ आतंकवादी मुंबई से दिल्ली को और रूख किए हुए हैं. हो सकता है कि वो आज की तारीख में दिल्ली में ही हों. पर सुरक्षा इंतजामों के नज़रिए से उनका दिल्ली में होना या अपने मंसूबों को अमली जमा पहनाना एक ख़्वाब ही रह सकता है. यही बेहतर होगा हम सबके लिए. मगर हम अपने डगमगाए हुए यकीन को संभाले रखें यह भी मुमकिन नहीं. अतः हमें सतर्क रहना होगा. साथ ही हमारे सुरक्षा तंत्र को चाहिए कि वो पूरी इमानदारी से काम करे. और आतंकवादियों को दिल्ली से ही नहीं अपितु देश से निकाल फेंके, कड़ी से कड़ी सज़ा इन्हें दी जाए. किसी भी तरह बख्शा न जाए. और अब हिन्दुस्तान की लड़ाई पूरी तरह से आतंकवाद के ख़िलाफ़ यूँ होनी चाहिए कि आतंकवादियों की रूहें तक काँप उठें हिंदुस्तान में कदम रखने के नाम पर. कुछ ऐसा होगा तभी हम आंतकवाद के साए से महफूज़ महसूस कर पायेंगे. ज़रूरत है हमें जागरूक होने की. संगठित होने की, एक-दूसरे से कदम मिलाके चलने की. इम्मंदारी बरतने की. सरकार को चाहिए कि वो कड़े से कड़े क़ानून लागू करे. जहाँ भी ढिलाई बरती जायेगी...हम मात खा सकते हैं.
    ---
    अब हमें आतंकवाद का खंडन न करके समाधान निकालना है. आतंकवाद को ख़तम करने का. जल्द ही ये विषय "उल्टा तीर" पर होगा. आओ आतंकवाद मिटायें: सभी से गुजारिश है, अपनी-अपनी राय सभी देंगे...हम कैसे आतंकवाद को मिटा सकते हैं...आप लोगों की छोटी सी छोटी बात महत्वपूर्ण होगी और यकीन कीजिये. आपका बोलना जाया नहीं जायेगा.

    "संगठित हों, बुराई के ख़िलाफ़ ताकत बनें. एक-दूसरे के साथ हों, महफूज़ हर कदम चलें."

    जय हिंद
    अमित के. सागर

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  18. सोते हुए को जगाया जा सकता है किंतु जो जागते हुए सोने का नाटक कर रहा हो उसे जगाना असंभव है

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  19. akshay der se aane ke liye maafi chahti hoon
    main in khbron ke baad khamosh hoon ........................ mumbai attack ke baad Zee Tv par ek mahila ne bahut achhe se mumbai dhamako ko bhunaya hai ki is sarkar ko girao aur hume vote do

    khamosh hoon ki logon ka khoon bhi sirf politics ke trick se zayada kuch nahi

    .............. kya sach main log zinda hai ?

    kya isi ko jina kahte hain ?

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  20. bahut sahi aur sateek baat likhi hai aapne
    maine pehli baar aaka blog padha hai
    aur aapke aise bhaavon aur vichaaron ne baar baar aane ko majbor kiya hai

    lekin in sabhi baaton ki saarthakataa tabhi hogi jab ek ek naagarik yeh baat apne upar laagu kare aur apne jeevan mein utare
    aapki taraf se yeh prayaas saraahneeya hai...

    keep it up

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  21. आपके सद्विचारों और अभिव्यक्ति को शत नमन.
    ईश्वर करें आपके अक्षय मन के ये विचार सबके मन में बसे.
    shabdheen hun,kya tareef karun.

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  22. wah ahshay...wah..........
    veero ki gatha ke sath desh ko ek shandesh kya khoob diya hai..............
    Garv hai mujhe...........

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  23. माफ़ी चाहूँगा, काफी समय से कुछ न तो लिख सका न ही ब्लॉग पर आ ही सका.

    आज कुछ कलम घसीटी है.

    आपको पढ़ना तो हमेशा ही एक नए अध्याय से जुड़ना लगता है. यूँ ही निरंतर लिखते रहिये

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