शुक्रवार, 16 जनवरी 2009

मैं भी नही जानता तू भी नही जानता

फासले हैं इतने कि उसे देखा नही कभी,एहसासों के दरमियाँ
बीच की दूरी को,मैं भी नही जानता तू भी नही जानता

मुझे तो जीना है,जीने की आदत जो है पुरानी
मौत से पहली मुलाकात कैसी होगी,
मैं भी नही जानता तू भी नही जानता

रोजाना आते हैं मेरी छत पर,वो प्यास बुझाते बादल
कितनी प्यास बुझी है,कितनी प्यास लगी है
मैं भी नही जानता तू भी नही जानता

किताब-ए-कातिब में पन्नो का हिसाब तो है,प्यार का नही
किन-किन लम्हों में,प्यार का हिसाब लिख बैठे
मैं भी नही जानता तू भी नही जानता
कातिब=लेखक

अक्षय-मन

26 टिप्‍पणियां:

  1. सच्चे प्यार में यूँ ही वक्त गुज़र जाता है...

    बहुत उम्दा!!

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  2. waah kya baat hai bahut khub lamhe yuhi gujra karte hai.

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  3. बहुत बढ़िया ..मीठा भीना सा एहसास है इस में

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  4. प्यार में बूडे होने वाली बात ठीक नहीं...प्यार की उम्र नहीं होती क्यूँ की उसका नाता दिल से होता है बूढा सिर्फ़ शरीर होता है...दिल नहीं...बहुत अच्छी रचना लगी आप की...
    नीरज

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  5. पर मैं इतना जानती हूँ की तुम्हारी कलम की धार पैनी होती जा रही है........
    बहुत डूबकर लिखते हो,हर शब्द बोलते हैं

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  6. 'rozana aatey hain..'wah akshay bahut hi bhav-bhari-jazbaat bhari kavita hai..bahut hi dil se likhi hai..chitr bhi kavita ke anusaar hi hai--bahut sundar!

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  7. बहुत सुन्दर कविता है!

    ---मेरा पृष्ठ
    चाँद, बादल और शाम
    ---------
    ---मेरा पृष्ठ
    गुलाबी कोंपलें

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  8. मै नही जानता वो नही जानता
    बस जानता है सिर्फ़ मेरा दिल
    गजब की लेने लिखी है मित्र.खूब लिखते रहें जी

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  9. ये शहद घुली पंक्तियाँ ,ये उदासियाँ अच्छी लगी,

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  10. अक्षय बहोत ही बढ़िया लिखा है भाई तुमने वाह इसे कहते है प्यार को महसूस करना बहोत खूब ढेरो बधाई आपको....


    अर्श

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  13. रोजाना आते हैं छ्त पर..........
    फ़ासले हैं इतने.......
    बहुत खुब भाई। ये जवानी बुढापा में कहां अट्क गये।

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  14. रचना अच्छी लगी , जो तुमने लिखी
    पर टिपण्णी क्या दूँ
    मैं भी नहीं जानता तू भी नहीं जानता

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  15. कमाल का एहसास है. सुन्दरतम भाव प्रवण रचना.

    रामराम.

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  16. आलातरीन भाई, क्या ही ख़ूबसूरत अहसास लिए कविता और प्रेयसी की तस्वीर तिस पर माशाअल्लाह !

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  17. अक्षय जी
    सुंदर अभिव्यक्ति है ............
    बहूत अच्छी भावः हैं

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  18. hero,

    us din bhi padha tha , aaj phir se pad raha hoon .. bahut sundar bhaav , gazab ka lekhan , multi apmlification of thoghts ..

    meri dil se badhai le lo hero.. yun hi likho ,acha likho , aur likho ..
    pyar
    vijay

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