किताब मिली --शुक्रिया - 21
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जो तू नहीं तो ये वहम-ओ-गुमान किसका है
ये सोते जागते दिन रात ध्यान किसका है
कहां खुली है किसी पे ये वुसअत-ए -सहारा
सितारे किसके हैं ये आसमान किसका है
वुस...
4 दिन पहले
बहुत दिनो बाद पुराने अन्दाज़ की गज़ल देखी…………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है। बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएंबेहतरीन रचना..बधाई स्वीकारें
जवाब देंहटाएंनीरज
how u honey?good post.keep wwriting,it will give u a new enjoyment of creativity.
जवाब देंहटाएंdr.bhoopendra
rewa
mp
haushle par gar apne ho yakeen
जवाब देंहटाएंsamandar par tum chal kar dekho......:)
sahi hai bhai...waise ye shabd tere liye hi hai..tum bahut aage jaoge:)
dil ko chhone wali rachnaen.
जवाब देंहटाएंbehtar disignining ke lie punah badhaee.
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