मैं शक करता रहा खुद के ही ऐतबार पर
मुझसे जुदा मेरा यकीं होंसला कोई मिला नहीं
वो हया भी शर्मसार हो गई आईने में देखकर
पर्दा भी तुने उससे किया जिससे कोई गिला नहीं
नाउम्मीद में उम्मीद की तू ही तो एक वजह थी
मैंने जो ख्वाब बोया था,हकीक़त में कोई खिला नहीं
हर अश्क में है अक्स तेरा इन्हें कैसे मैं जुदा करूँ
ये है मेरी निगार-ए-जां,रुकता कोई सिलसिला नहीं
मिलते हैं हमसे अब कहाँ बीते हुए वो कुछ मंजर
ठहरी हुई तन्हाई से क्यूँ गुजरा कोई काफिला नहीं
मेरी खबर ये लब्ज़ मेरे देते रहेंगे हाँ तुझे
तेरा ही कुछ पता नहीं तेरी ही कोई इत्तिला नहीं
अक्षय -मनं
मुझसे जुदा मेरा यकीं होंसला कोई मिला नहीं
वो हया भी शर्मसार हो गई आईने में देखकर
पर्दा भी तुने उससे किया जिससे कोई गिला नहीं
नाउम्मीद में उम्मीद की तू ही तो एक वजह थी
मैंने जो ख्वाब बोया था,हकीक़त में कोई खिला नहीं
हर अश्क में है अक्स तेरा इन्हें कैसे मैं जुदा करूँ
ये है मेरी निगार-ए-जां,रुकता कोई सिलसिला नहीं
मिलते हैं हमसे अब कहाँ बीते हुए वो कुछ मंजर
ठहरी हुई तन्हाई से क्यूँ गुजरा कोई काफिला नहीं
मेरी खबर ये लब्ज़ मेरे देते रहेंगे हाँ तुझे
तेरा ही कुछ पता नहीं तेरी ही कोई इत्तिला नहीं
अक्षय -मनं
आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (10-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
Waah waah, keya likha hai Bhai, bahut sundar.
जवाब देंहटाएंwah akshay..bahut sundar
जवाब देंहटाएंaapka shabd chayan bahut sunder hai.
जवाब देंहटाएंवाह.......वाह................ हर शेर दाद के काबिल है। बहुत खुब।
जवाब देंहटाएंsundar ehsaas
जवाब देंहटाएंप्रेम व विरह मे पगी कविता
जवाब देंहटाएंbadhayi ho akshay , welcome back.. leki ye to bata do ki miss kise kar rahe ho..
जवाब देंहटाएं--------------
मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
विजय