शुक्रवार, 9 मई 2008

मुझे आजादी चाहिए

मेरी पुकार मुझे आजादी चाहिए

मेरा अधिकार मुझे आजादी चाहिए

मेरी साधना मुझे आजादी चाहिए
मेरी वंदना मुझे आजादी चाहिए

गरीबो की भूख को माँ की कोख को आजादी चाहिए
भ्रष्ट हो चुकी राजनिति से नेता की झूठी काबुली से आज़ादी चाहिए

समाज के अंधे नजरिये से उनकी गलत मति से आज़ादी चाहिए
१४ साल की शादी को १५ साल की माँ को आजादी चाहिए
दहेज़ देकर बिकती नारी को आग मैं जलती साडी को आज़ादी चाहिए

बेटी को बाप से बलात्कार के श्राप से आज़ादी चाहिए
ऐसे रिश्तो की छाप से आँखों मैं उठती भाप से आजादी चाहिए

कानून के अंधे न्याय से गवाहों के झूठे बयां से आजादी चाहिए
वकीलों की झूठी दलीलों से झूठ के बड़ते शूलो से आज़ादी चाहिए

रिश्तों की झूठी बनावट से मतलब निकलने की चाहत से आज़ादी चाहिए

कुर्सी पर बैठे अधिकारों से अनसुनी पुकारो से आजादी चाहिए
शतरंज खेलती सत्ता से रोज के बड़ते भत्ता से आजादी चाहिए

बेटे की फटकार से अटूट रिश्तो की ट्क्रार से आज़ादी चाहिए
इस सिसकती लाचारी से बेघर होने की बीमारी se आजादी चाहिए

भूखी पड़ी कामयाबी से बेरोजगारों की अकाली से आजादी चाहिए
र्रिश्वत्खोरो की फर्मानी से नेताओं की मनमानी से आज़ादी चाहिए

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