हस्त कला के ये मंत्र
निर्जीव को भी जीवित करने के ये तंत्र
मुझे भी सिखाओ
दिल की भावनाये
कुछ अक्षय अकिर्तियाँ
मन की जिज्ञासाएं
अपनी ये हस्त कलाएं
मुझे भी बतलाओ
मोन मैं भी अमोनता
एक निर्जीव वस्तु से दिल की बात कहलवाने की तुम्हारी क्षमता हमें भी समझाओ
इनकी अमिट मुस्कुराहट से दिल लुभाती इस बनावट से
हमारी भी पहेचान कराओ
अश्रुओ से मिट्टी के मिलन का
दर्द मैं ढलकर हँसते जीवन का
एहेसास हमें भी तो कराओ
दोस्ती वैसे भी हमको है निभानी आपकी ...
-
*सब दराज़ें साफ़ कर लीं बात मानी आपकी.क्या करूँ यादों का पर जो हैं पुरानी
आपकी. ज़ुल्फ़ का ख़म गाल का डिम्पल नयन की शोख़ियाँ, *
*उफ़...
4 दिन पहले
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें