
एक आस्था ही तो है जो बताती है
समर्पित हूं में तेरे लिए
एक जिज्ञासा ही तो है जो मुझे समझती है
सिर्फ एहेसास हूं में तेरे लिए
मुंद कर इन पलकों को स्मरण करूं में तेरा ही
ज्योत जला इन नयनो की आरती करूं तेरे लिए
अपनी इस तपस्या को व्यर्थ न जाने दूंगा कभी
इस जन्म में तेरा न हुआ तो क्या
अगले जन्म में आउंगा तुझे पाउंगा
और जीउंगा सिर्फ तेरे लिए ........
और चुपके से आकर तेरे कान में पूकरुंगा तेरे नाम को
और कहूंगा मेरा प्यार,मेरी आस्था,मेरा समर्पण
मेरी जिज्ञासा,मेरा एहेसास मेरी तपस्या है सिर्फ तेरे लिए
मैं न जनता था कि ये मेरे लिए एक भ्रम साबित होगा
पता तो तब चला जब मेरी आस्था अभिशापित हुई
उससे ये सुनकर कि तू अजनबी है मेरे लिए तू अजनबी है मेरे लिए ....

















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