सोमवार, 14 जुलाई 2008

रिश्ते


कौन सा दिल तलाश करोगे कौन सा दिल अपने पास रखोगे
वो धुन बचपन कि खो गई अब क्या अब रोता अलाप सुनोगे
मन को समझाया है आज क्या सिर्फ बचपन की याद रखोगे
कैसे-कैसे रिश्ते बनते वक़्त को देख सब हैं बदलते,क्या करोगे ?
कौन सा दिल तलाश करोगे ,किन-किन रिश्तों का मान रखोगे?

मज़बूरी की डोर है या है हालातों का बंधन तुम इसका क्या नाम रखोगे
कुछ समय का समझोता या है किसी व्यापारी का सौदा बोलो क्या कहोगे
कौन सी बीती श्याम रखोगे या खोया हुआ समान रखोगे,क्या करोगे ?
कौन सा दिल तलाश करोगे,खून के रिश्ते फिर बदले अब पानी नाम रखोगे

गई अंधी नीति ये है रिश्तों की राजनीति भेद-भावः की क्या तुम जंग लड़ोगे
संस्कारों में आती गिरावट अपने खून मे आती बगावत राज ये गहरे कैसे खोलोगे
कौन है किसके साथ बांटे गए रिश्तों मे आज क्या-क्या देखकर तुम मतदान करोगे
कौन-सा दिल तलाश करोगे,यहाँ पर कुर्सी तो नही मगर बटवारे की बात जरूर रखोगे


वो हकीक़त बयाँ करता है जो तुमने तोड़ दिया, ऐसे आईने को तुम क्यूँ देखोगे
हर आईने पर दरारें हैं हर दिल पर चोट है कब तक ख़ुद के साथ ही खोट करोगे
ये भला है कि साथ नही रहता इश्वर तुम्हारे ना तो तुम उसके साथ भी ऐसा करोगे
कौन-सा दिल तलाश करोगे,टूटा हुआ आईना क्या तुम हमेशा अपने पास रखोगे ?
अक्षय-मन

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