गुरुवार, 31 जुलाई 2008

मर्मस्पर्शी


कुछ शब्द जो पकते रहे मन की असीमित उचाईयो वाले वृक्षों पर
और टूटकर गिरते रहे बिखरते रहे कोरे पड़े उन पन्नो पर

और माली थी एक कलम जो इस मन-वृक्ष के शब्द फलो को
एक नया रूप दे उनको सवांरती थी
जब कल्पनाओं की बारिश होती थी
कुछ यादें जब बादलों में बदलती थी

तब-तब वो मन-वृक्ष झूम उठता खिल उठता
शब्दों को नया जीवन मिलता
एक नई उमंग नई तरंग के साथ शब्दों का विकास होता

और जब संवेदना से सुगन्धित आस्था पुष्प मन-वृक्ष पर खिलते
तब ये पुष्प अपनी महक से सबको सुगन्धित-आकर्षित करते

सिलसिला चलता रहा परन्तु मन-वृक्ष अब बुढा हो गया चला
लेकिन समय के साथ-साथ शब्द-फल और रसीले हो गए
वो आस्था फूल और भी सुगन्धित हो गए
लेकिन वो माली-रुपी कलम थक चुकी थी, हाथ कांपते थे
किन्तु कल्पनाओं की बारिश आज भी उतनी ही प्रबल थी
वो यादें भी बादल का रूप ले मानसपटल पर छाई हुई थी

वो वृक्ष आंतरिक रूप से तो सम्पूर्ण था लेकिन
बाहर से समय के साथ-साथ कमजोर हो रहा था

उस मन वृक्ष ने हमारे लिए जीवन भर संघर्ष किया
जीवन को नया रूप नई सोच मिली शब्द-फल के सेवन से

फिर भी तुम स्वार्थी बन गए
कटु शब्दों से बचाया नई सीख दी छाया दी क्या तुम
उस आँचल को,उस मर्म को, उस कवि को भूल जाओगे?????अक्षय-मन
इसके मर्म को समझिये .....यही प्रार्थना है आपसे

13 टिप्‍पणियां:

  1. shabdon ki isse khubsurat vandana...nahi padhee akshay!
    bahut sundar chitran kiya hai tumne....ek kavi ki abhivyakti ka.....tum aur tumhari kavitayen...behad prashansniy hai


    ....Ehsaas!

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  2. kitne sunder shabd hai.....
    ....khoobsurat hai kavita
    ek sukhad ehsaas hai.....
    ....aapki yah rachna....

    likhte rahe ...

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  3. tumhari har rachne pichhle se behtar hoti hai.........aur har shabd sarthak hote hain.......!!

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  4. उस आँचल को,उस मर्म को, उस कवि को भूल जाओगे?????
    दिल को छू लिया,खुश रहो......

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  5. marm sparshi rachna
    bahut sunder upma di hai man ke vichar bhaut achhe se vayakt kiye hain

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  6. Lage raho beta.........buss...........thodi mehnat aur...................................................

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  7. lajawab, maza aa gaya, kaash main bhi likh pate aisa,
    bilkul kalam tor di hai...

    aapne photos ko animate kaise kiya?
    main manas hu, manaskhatri.blogspot.com wala please mujhe batain....

    manas

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  8. भाई करीब कई पोस्ट पढ़ गया.रचना-धर्म का पालन आप बखूबी कर रहे हैं.
    बस यही दुआ है जोर-क़लम और ज़्यादा.

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