गुरुवार, 17 जुलाई 2008

गुरु-वंदना


हे गुरु! हे प्रभु!
मेरा ज्ञान मेरा सम्मान मेरे जीवन का आधार हो तुम
मेरे इस अचल अस्तित्व की पहेचान हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा वरदान मेरा अभिमान मेरा संसार हो तुम
मेरे कृतार्थ होने का परिमाण हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा जन्म मेरा अंत और मोक्ष का साधन भी हो तुम
मेरे मलिन जीवन का परिमार्जन हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा मनोरम मेरा लड़कपन और मेरा आश्वासन हो तुम
मेरे नूतन तन की तन्मयता हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा मर्म मेरा "मैं" और मेरे शब्दों की व्यंजना हो तुम
मेरे अस्तित्व को अक्षय करने की वंदना हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा अर्पण मेरा दर्पण और मेरा आवाहन हो तुम
मेरे प्रबल मनोवेग के लिए अभयदान हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम

मेरा परिचय मेरा अध्याय और मेरा अभ्याय भी हो तुम
मेरे सत्य होने का अभिप्राय हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! मेरे भगवान् हो तुम
हे गुरु! हे प्रभु! तुम्ही तुम हो तुम्ही तुमहों अक्षय

6 टिप्‍पणियां:

  1. गुरु से सम्बन्ध के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं हो सकती ,गुरु का दिया ज्ञान उस नय्या के सामान है जो हमें इस संसार सागर से पार लगता है, अगर ज्ञान सही रूप मे श्रद्धा के साथ ग्रहण किया जाये तो जीवन सार्थक हो जाता है..गुरु से प्राप्त ज्ञान मन् के अन्धकार मिटा कर उजाले की तरफ ले जाता है..गुरु का सम्मान करने से ही जीवन को सही दिशा मिल पाती है..
    बहुत ही अच्छा प्रयास है अक्षय...
    वैसे इस सृष्टि मे जिस से भी हम कोई शिक्षा लेते हैं वो सब हमारे गुरु हैं...फिर चाहे वो कण हो या पर्वत...नदी हो या वृक्ष..ऐसे सभी गुरुओं को मेरा शत् शत् नमन........

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  2. गुरु,गोविन्द के बिच गुरु की की श्रेष्ठता है,
    इस प्रार्थना में तुमने स्पष्ट किया है.......
    बहुत ही सुन्दर प्रार्थना.
    अम्मा ने अपना आशीर्वाद दिया है.......

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  3. waise bhi apne bharat varsh kee sanskirit yah batati hai ki agar guru aur bhagwan dono mil jayen to bhi sabse pahle guru ki vandana karnee chahiye..........

    maine ummid karunga ki tumhare kalam se iss tarah barabar kutchh aisa nikle jo dil aur dimag dono ko udwelit karta rahe

    tumhare guru ko mera bhi naman!!

    mukesh bhaiya

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  4. ashirwad deta hoon tumharee lekhnee aisee hee rachanaye likhtee rahe

    Anil

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  5. hamesa ki trah aap ki kalam ka jaadu aap ki soch ....aap ek kavi hi nahi aap ek achey vichar rakhtey hai mai aap ko aap ki laikhan ko salaam karta hun mitr ''salaam''

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  6. आपके ब्लॉग में कोई प्रकार का मेटर कॉपी नही होता है यह फार्मुला मुझे भी बताए प्लीज
    raogumansingh@gmail.com

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